प्रज्ञा पुरुषोत्तम श्री १०८ बालाचार्य योगीन्द्रसागरजी महाराज सा

प्रज्ञा  पुरुषोत्तम श्री १०८ बालाचार्य योगीन्द्रसागरजी महाराज सा

गुरुवार, 9 दिसंबर 2010

शीतलता लब्ध कराता "शीतलधाम"

शीतल शब्द ठंडक की अनुभूति कराता एक सक्षम शब्द है। सारे समाज से समस्त उपद्रव जिस जगह जाकर शांत हो जाए ऐसे स्थान का नाम आज से ८०० वर्ष पूर्व हुए दिगंबर जैनाचार्य शीतलकीर्ति महाराज सा के नाम को समर्पित कर "शीतलधाम" रखा गया गया है । प पू सिद्धांत रत्नाकर गुरुदेव बालाचार्य १०८ श्री योगीन्द्र सागर जी महाराज सा ने अपने गुरुदेव कि स्मृति में यह स्थान समस्त समाज के वृद्ध एवं अशक्त साधुजनों कि सेवा हेतु समर्पित किए जाने का प्रायोजन किया है ।
शीतल तीर्थ के निर्माण का परम उद्देश्य प्राप्त होने सम्बन्धी किस्सा प्रायः बलाच्री जी के श्री मुख से सुना जाता रहा है कि किस प्रकार बदरीनाथ धाम के रास्ते पर हुए अनुभव ने उनका मानस बनाया ताकि वृद्ध संतजनों कीसेवा के निमित्त इस तरह की व्यवस्था जिसमे साम्प्रदाय निरपेक्षता का अनिवार्य तत्व रहे और अब यही कल्पना साकार स्वरुप में परिणति प्राप्त कर रही है "शीतलधाम" के स्वरुप में। समस्त भारतीय समाज को एक सूत्र में पिरोने का भाव आज शीतल तीर्थ की शीतलता है ।
समस्त भारत में रह रहे विभिन्न धर्म , पन्थ, सम्प्रदाय एकजूट रहे इसका मूल मन्त्र " सर्वे भवन्तु सुखिनः , सर्वे सन्तु निरामयः । सर्वे भद्राणि पश्यन्तु , माँ कश्चित् दुःख भाग भवेत् " की भावना में निहित है । अनुभवों की कसौटी पर कई विग्रहों से सामना कर अपने आप को ढाल चुके बालाचार्य जी के जीवन खण्डों का विस्तार से भ्रमण किया जाए तो वे स्वयं "परहित सरस धरम नहीं भाई " की साक्षात अनुकृति हैं । बाल्यकाल से मिला पोषण "संस्कृति की उद्घोषणा "प्रतीत होती है, प्राथमिक शिक्षा के दौर में डगमगाते क़दमों से चलनेवाला बालक आज का साहित्य समृद्ध आचार्य है और उनसे बात करने पर वे इसे माँ का आशीर्वाद का सहज उत्तर देते हैं। इस माँ शब्द की थाह में जाकर शारदा, सरस्वती और वाणी का सहज अनुभव किया जा सकता है । अवसाद का गहन दौर जीवन को प्रताड़ित कर चुका और अनुभव की कटुता ने कई सबक सिखाए फिर तप के जो मूर्ति प्रकट हुई वह बालाचार्य के रूप में हमारे समक्ष है ।
सार्वजनिक, सर्वधर्म,साम्प्रदाय निरपेक्षता जैसे शब्दों को समाज की एकजुटाता को परिभाषित करने के लिए प्रायः प्रयुक्त किया जाता रहा है तथापि कर्म कि साकार कृति में प्रस्तुति का चिंतन और मानस के केंद्र बिंदु का उद्भव शीतल तीर्थ धाम के रूप में बालाचार्य जी के मनो मस्तिष्क से उजागर हुआ है । यूँ तो साईं बाबा स्वयं सद्भावना के साक्षात सनातन सूर्य हैं । "नेपाली बाबा " के अनुसार कोख से जन्म लेने वाला प्रत्येक प्राणी "वसुधैव कुटुम्बकम " कि घोषणा और हिन्दू है । कुछ इसी प्रकार कि आवृत्ति को मुनि समुदाय से प्रकट करने का भाव शीतल तीर्थ के रूप में परिभाषित है। आवृत्ति का यह खंड उर्ध्व दिशा में अग्रसर हो रहा है । जड़ता का तरलता में परिणत होना भी इसी के साथ अनुभूत होने लगा है। विचारों कि जड़ता से ग्रस्त अवधारणा यहाँ जिस ठंडी लहर को पाकर द्रवित हो रही है वह अनुभव भी इस पावन धरा पर होने लगता है।

बचपन में पढ़ी और आज तक मनो मस्तिष्क में अविस्मृत पड़ी सूक्ति ... अर्थात "यदि कोई अपने अन्तः करण पर मजबूती से खडा रहे तो सारी दुनिया उसके नज़दीक होगी। का चैतन्य अनुभव भी बालाचार्य जी हैं ही परन्तु शीतल तीर्थ का शिल्प भी आकर्षण के इसी केंद्र का बिंदु बन स्थापित होगा । विश्व एकात्म का धरातल विचारों से निकल कर मूर्त रूप में बदलने लगा है पर आज भी यह दिगंबर अतिशय क्षेत्र का बोध कराने का उपक्रम दर्शित होता है इसकी पड़ताल में हूँ ......

गुरुदेव बालाचार्य जी का कथन है कि " यह स्थान मुझे भी स्वभावगत शीतलता देने में कामयाब हुआ है " लोगों को भी हमने यही कहते सूना कि स्वभाव में बदलाव हम महसूस करते हैं । जहां नाम के स्वरुप शीतलता लब्ध है एसा स्थान निश्चित ही आस्था का केंद्र बनेगा और हम सभी रतलामवासी इसकी ध्वनि और जयघोष बनेंगे .....

राजेश घोटीकर

६/१६ एल आई जी "बी" जवाहर नगर रतलाम (म प्र)

मंगलवार, 30 नवंबर 2010

केश लोचन समारोह शीतल तीर्थ पर



































चित्र पर क्लिक कर बड़ा कर पढ़ें







गुरुवार, 25 नवंबर 2010

शीतलतीर्थ कि संयोजिका को मातृशोक

शीतलतीर्थ कि संयोजिका डॉ सविता जैन कि माताजी श्रीमती विजया जी जैन का स्वर्गारोहण २४ नवम्बर कि शाम ५:२० पर उज्जैन में हो गया। अंत्येष्ठी उज्जैन के चक्र तीर्थ में २५ नवम्बर को प्रातः १० बजे संपन्न हुई । ६२ वर्षीय श्रीमती जैन सामाजिक कार्यकर्ता होकर धार्मिक प्रवृत्ति कि महिला थी ।
शीतल तीर्थ से सम्बंधित समस्त आयोजन डॉ सविता जैन को मातृशोक होने कि वजह से आगामी घोषणा तक निरस्त किए गए हैं।

रविवार, 7 नवंबर 2010

वास्तविक स्नेह धन का मोहताज नहीं होता

पत्थर से प्रतिमा तराशी जा सकती है । दूध में से घी निकाला जा सकता है । जिस रूप का निर्माण चाहें बनाया जा सकता है । इसी तरह बुद्धि और विवेक के इस्तेमाल से स्वयं का निर्माण किया जा सकता है । आदमी तीन प्रकार के हैं । पहला भलाई का बदला बुराई से देता है दूसरा भलाई का बदला भलाई से देता है । तीसरा बुराई का बदला भलाई से देता है । ये तीन प्रवृत्तियाँ हर इंसान में पाई जाती हैं । पहली वृत्ति राक्षस दूसरी इंसान और तीसरी देव वृत्ति है । इसलिए बुद्धि और विवेक का सदुपयोग करना चाहिए । कंकर पत्थर निकाली गई मिटटी सुन्दर बर्तन का रूप ले लेती है । उसी प्रकार स्नेहपूर्ण वृत्ति से आदमी को अपना स्तर सुधारना चाहिए । उक्त बात बालाचार्य श्री १०८ योगीन्द्र सागर जी महाराज सा ने रविवारीय सभा को संबोधित करते हुए कही । उन्होंने कहा कि वास्तविक स्नेह धन का मोहताज नहीं होता । भगवान् श्री कृष्ण और सुदामा इसका सुन्दर उदाहरण हैं । नारायण स्वरुप श्री कृष्ण और निर्धन सुदामा के प्रेम के बीच में एश्वर्य कहीं नहीं आया ।
आगामी कार्यक्रमों के सम्बन्ध में कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ सविता जैन ने बताया कि दिनांक १२ एवं १३ नवम्बर २०१० को बालाचार्य जी कि निश्रा में पेलेस रोड स्थित चिंतामन गणेश मंदिर पर कार्यक्रम होंगे इसी तरह १४ ,२१ एवं २८ नवम्बर को रविवारीय सभा शीतल धाम पर होगी । दिनांक २१ को केशलोच का आयोजन भी यहीं होगा । २८ नवम्बर को भगवन क्षेत्रपाल मंदिर के शुद्धिकरण का कार्यक्रम होगा।

कार्यकर्म के प्रारम्भ में मंगलाचरण पंडित नितिन कुमार जी ने प्रस्तुत किया भजन कि सुमधुर प्रस्तुति श्री पुखराज सेठी ने दी विनयांजलि सर्वश्री विष्णु त्रिपाठी , राजेश घोटीकर, अशोक गंगवाल , सावंत सिंह , जगदीश व्यास , सुभाषजी , जितेन्द्र जी,शांतिलाल जी, छगनलाल जी, गगन बडजात्या, केसरीमल जी, जयंती लाल जी, निर्मल जी आदि ने श्रीफल भेंट कर की। प्रभावना का पुण्य छोगालाल भरतकुमार चोधरी द्वारा लिया गया ।

शुक्रवार, 29 अक्टूबर 2010

बालाचार्य जी ने सर्वधर्म समभाव के प्रयत्नों में लगाया नव दिवसीय विधान मंडल









श्वेताम्बर संत श्रीमहेश मुनि जी ने स्वागत किया गजरथ का
सम्मान समारोह दो हफ्ते तक चला जिसमे कार्यक्रम के सहयोगी समानित हुए


पूर्व गृह मंत्री हिम्मत कोठारी , डीआईजी वेदप्रकाश जी शर्मा , पुलिस अधीक्षक डॉ मयंक जैन, उप - वन मंडलाधिकारी श्री डी एस चोहान , विधुत विभाग के खालिद ज़फर से लेकर कार्यकर्ता श्री साहू , अशोक गंगवाल , प्रचार सचीव राजेश घोटिकरसमाज जन अनिल पापरिवाल , दीपक गोधा आशीष सोनी आदि सम्मनित हुए ।

नव दिवसीय मंडल विधान पूजन , गजरथ एवं सिन्धी गुरु द्वारे में प्रवचन









आदिनाथ भगवन कि चरण पादुकाए

मंगल कलश यात्रा








पुलिस का सामूहिक भोज








सिन्धी गुरुद्वारे में प्रवचन (१)








(२)








(3)


गज रथ महोत्सव के फोटो :













शुक्रवार, 22 अक्टूबर 2010

आचार्य शीतलकिर्तिजी का दीक्षा महोत्सव, सम्मान समारोह तथा शरदोत्सव मनाया

शीतलधाम जैनाचार्य श्री गुरुदेव धर्मध्वज महामार्तंड १०८ श्री शीतलकीर्ति महाराज सा के नाम से निर्मित हो रहा है। बालाचार्य श्री योगीन्द्र सागरजी महाराज सा ने श्री शीतल कीर्ति महाराज सा के ८५७ वे दीक्षा महोत्सव के उपलक्ष में उनका स्मरण कर उनके जीवन के बारे में प्रवचन देते हुए बताया। शीतल धाम पर इस अवसर पर नवदिवसीय आराधना के सहयोगी सम्मानित किए गए। इनमे प्रमुख रूप से नगर निगम अध्यक्ष श्री दिनेश पोरवाल , सोहनलालजी कलावत , नगर पुलिस अधीक्षक श्री महेंद्र तराणेकर, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री के आर जैन , विद्युत अभियंता श्री के यु ज़फर , सैलाना पुलिस थाना टी आई श्री एस डी मुले , राहुल पंजाबी (छोटू ) का सम्मान किया गया । उपस्थित धर्म सभा के श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए श्री जफर ने कहा कि गजरथ वाकई एक चुनौती था और मेरे लिए एक नया अनुभव भी। श्री मुले ने कहा कि संतों के सानिध्य लिए थाने का प्रभार मिलना मेरे जीवन के लिए श्रेष्ठ अनुभव है। श्री के आर जैन ने कहा कि संतों का सान्निध्य मन के भावों को शीतलता और पवित्रता का मार्ग प्रशस्त करता है अब यहाँ शीतल धाम आते ही मन के भावों में पवित्रता का एहसास होता है। मुख्य अतिथि के समोधन के रूप में श्री तराणेकर ने कहा कि संतों के आशीर्वाद से हम अपना जीवन सरल बनाते हैं संत ही हैं जिनके पास आत्मीयता से जाया जा सकता है। संगीत संतों कि देन है इसलिए भजन और भोजन साथ करने से परिवार संगठित होता है। निगम अध्यक्ष दिनेश पोरवाल ने भी इस अवसर पर समोधी किया जबकि वर्षायोग समिति अध्यक्ष पुखराज सेठी ने गुरु स्तवन किया। शरद पूर्णिमा कि शरद रात्री में भजन भक्ति संध्या के अंतर्गत कोटा के कुमार अन्नू & पार्टी द्वारा गुरु भक्ति आधारित भजन कि प्रस्तुति दी गई ।
उक्त जानकारी प्रदान करते हुए व्यवस्थापिका डॉ सविता जैन ने बताया कि दिनांक २४ अक्तूबर को दोपहर ३:०० बजे शीतल धाम पर बालाचार्य जी के प्रवचन होंगे तथा शेष रहे सहय्गियों का सम्मान भी किया जाएगा ।

शुक्रवार, 15 अक्टूबर 2010

स्नेह भोज का आमंत्रण

रतलाम

बालाचार्य श्री योगीन्द्र सागरजी महाराज जी द्वारा नव दिवसीय विधान मंडल का आयोजन यहाँ साथ घर के गोथ के नोहरे में आयोजित कि गई है इसके अतर्गत प्रतिदिन विभिन्न समुदायों के प्रतिनिधियों को स्नेह भोज हेतु आमंत्रित किया जा रहा है ।

गुरूवार कि शाम जिला प्रशासन के अधिकारी एवं कर्मचारियों ने बड़ी संख्या में उपस्थिति दर्ज कीजिलाधीश राजेन्द्र शर्मा , एस डी एम् श्री सलूजा , पंचायत के उप संचालक के एन जोशी आदि इनमे प्रमुख थे। प्रातः ईसाई समुदाय के धर्मालुओं ने फादर यह नगरमें पहला अवसर होगा जबकि भोज किया ।

शुक्रवार को महामृत्युंजय विधान पूजन किया जाकर स्नेह भोज में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता एवं वरिष्ठ नेतागण आमंत्रीत किये गए सर्वश्री हिम्मतजी कोठारी , महापौर शेलेन्द्र डागा, निगम अध्यक्ष दिनेशजी पोरवाल , पार्षद सीमा टाक, पवन सोमानी , भा ज प् जिला महामंत्री बजरंग जी पुरोहित, विष्णु त्रिपाठी , मनोज यादव, वीरेंद्र वाफगाँवकर, लक्ष्मी नारायण धारवा एवं बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं ने आयोजन में भाग लिया ।

शनिवार को धार्मिक कड़ी में श्री शान्ति विधान पूजन किया जाएगा तथा कांग्रेस के नेता एवं पदाधिकारियों को स्नेह भोज कराया जाएगा ।

उक्त जानकारी शीतल तीर्थ प्रबंधक डॉ सविता जैन ने देते हुए नगर के समस्त धर्मालुओं से आग्रह किया है की दिनांक १७ अक्तूबर रविवार को रतलाम में पहली बार निकलनेवाली विशाल गजरथ शोभायात्रा में उपस्थित होकर धर्मलाभ लेवें ।

सोमवार, 11 अक्टूबर 2010

मंगलवार, 28 सितंबर 2010

सिन्धी समाज ने आयोजित किये प्रवचन

बालाचार्य श्री १०८ योगीन्द्र सागर जी महाराज सा के प्रवचन सिन्धी समाज बंधुओं ने भी आयोजित किए । विस्तार से अटेचमेंट पढ़ें .......
































रविवार, 19 सितंबर 2010

अखबारों से







चौके को भोजन शाला बनावे किचन नहीं

शुद्ध चौके को भोजन शाला कहते हैं। भोजनशाला यदि शुद्ध हो तो सभी परिजन प्रसन्न रहते हैं मगर यदि चौका अशुद्ध हो तो जीवन में कीच-कीच होती है। इसलिए घर के चौके को भोजनशाला बनाए, किचन नहीं। चौके में चार तरह कि शुद्धता चाहिए मन (अन्तरंग) शुद्धि, काया शुद्धि, भोजन शुद्धि, स्थान शुद्धि। उक्त बात बालाचार्य १०८ श्री योगीन्द्र सागरजी महाराज ने गुरु योगी भक्त मंडल द्वारा धानमंडी स्थित रानी जी के मंदिर प्रांगन पर आयोजित प्रवचन कार्क्रम में कही। जीवन में चार का महत्त्व उन्होंने चार तरह के दान, चार तरह के त्याग के माध्यम से समझाया। उन्होंने त्याग कि महता भी बताई और कहा कि त्याग का फल हमेश अच्छा ही मिलता है। अपरिग्रह, देश धर्म, तीर्थ रक्षा और परोपकार को दान कि श्रेणी में रखा और कहा कि इन सभी का नियम पूर्वक पालन करना चाहिए।

प्रारंभ में दीप प्रज्वलन नगर निगम अध्यक्ष दिनेश पोरवाल एवं महेश शर्मा ने किया । श्रीफल भेंट कर विनयांजलि खेमराज व्यास, कान्हा गुरु, चन्द्र प्रकाश व्यास , पुरुषोत्तम चोरसिया, तुलसी राम व्यास, सोहन उपाध्याय, मुकेश बाफना, किशोर उज्जैनवाला, संदीप पोहावाला, बालूजीपंडया, अमृत व्यास, राजू बोहरा, प्रहलाद बन्दवार आदि ने किया। प्रभावना का पून्यार्जन देवीलाल जोशी ने लिया जबकि संचालन विष्णु त्रिपाठी ने किया ।

उक्त समाचार गुरु योगी भक्त मंडल धानमण्डी ने दिया ।

रविवार, 12 सितंबर 2010

अपना संशोधन करें ....... बालाचार्य जी

जटाजूट माला तिलक
हुए शीश के भार ।
भेष बदल क्या हुआ
अपना चित्त सुधार ।।
भेस बदलने में नहीं , कौड़ी लगे छलांग ।
भेस बदलना सरल है , तू तो बदल विचार । ।
उक्त पंक्तिया बालाचार्य जी ने शीतल धाम में प्रति रविवार आयोजित धर्म सभा को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने जीवन को सहज और सरल बनाने पर जोर दिया । व्यक्ति को सन्मार्ग पर लाने के लिए गुरुओं के द्वारा किये गए प्रयासों को भी विस्तार से समझाया ।
प्रारंभ में विनयांजलि विजय जी ओर जावरा, बजरंग जी पुरोहित, राजेश जी घोटीकर, निर्मल जी जैन, पदमजी सहलावत जयंतीलाल जी जैन, डेलनपुर के फूलचंद जी, बजारामजी , कैलाश जी उपाध्याय , मोतीलाल जी पाटीदार , भरतलाल जी पाटीदार , भेरुलाल जी पाटीदार , रामलाल जी , बाबूलाल जी आदि ने श्रीफल भेंट कर कि।
अभेद मति माताजी ने सभा को सम्बोद्झित कर कहा - नियम कि महत्ता जीवन को सफल बनाती है इन्हें अंतिम साँसों तक पालन करें । अहिंसा के बिना कोई धर्म नहीं है इसलिए हिंसा त्यागें । प्रभावना का सौभाग्य धामनोद के श्री देवीलाल ने लिया ।

कर्तव्य ही धर्म है.

बाबा रामदेव को लोग बाबा रामापीर के नाम से भी जानते हैं । साईबाबा और अनेको विभूतियाँ हुई जिन्होंने भाई चारे का सन्देश पहुंचाया है । अवतारों का पूर्ण ब्योरा मिल जाता है मगर इन संतों का ब्यौरा मिलना नामुमकिन है । सामाजिक सौहार्द्रता के कई प्रयास संतों ने किए है इसीलिए इनके स्थानों पर सभी धर्म के लोग आते जाते है ।
"आज देश को दुश्मन से नहीं गद्दारों से ख़तरा है ,
खजाने को चोरों से नहीं पहरेदारों से ख़तरा है।"
उक्त बात बलाचारी श्री १०८ योगीन्द्र सागर जी महाराज ने बाबा रामदेव कि जयंती के अवसर पर आयोजित सभा में कही । उन्होंने सागोद स्थित बाबा रामदेव के मंदिर में अपने प्रवचन देते हुए कहा कि असुर, अधम और अभिमानी जब कभी पैदा होते हैं संतों या महापुरुषों को अवतरित होना पड़ता है । आज लोग अभिमान कि जकड में है । ये अभिमान ८ प्रकार के हैं । (ज्ञान /पूजा /कुल / जाति/ बल/रिद्धि/तप एवं वपु )। ज्ञान का बोध , पूजनीय हो जाने पर , जाति और कुल में जन्म , शारीरिक और जन बन , धन बल , तप कर लेने पर और रूप-सौन्दर्य का घमंड ।
बाबा रामदेव संस्कारों को प्रेरित कर गए है इनका पालन करें । आज रामापीर कि जयंती के साथ आचार्य शांति सागर जी का देवलोक प्रयाण भी हुआ है दोनों महान संतों का स्मरण कर उनके बताए आचरण अपने जीवन में उतारने का प्रयास हो।
कार्यक्रम का संचालन रामेश्वरजी मुंशी ने किया । कार्यक्रम उपरान्त भंडारे का आयोजन मंदिर समिति ने किया ।

शुक्रवार, 27 अगस्त 2010

केदारेश्वर कार्यक्रम


केदारेश्वर, सैलाना के समीप एक प्राकृतिक द्रश्यों से परिपूर्ण धार्मिक क्षेत्र है ।
भगवान् भोलेनाथ के इस स्थान पर मनोहारी झरना बहता है । बारिश के दिनों में तो यहाँ कि सुन्दरता का जबरदस्त परचम रहता है। श्रावण के अंतिम सोमवार को बालाचार्य श्री ने बर्ड्स वाचिंग ग्रुप द्वारा आयोजित प्रवचन कार्यक्रम में भाग लिया ।
कार्यक्रम उपरान्त यहाँ गार्डन चेयर्स भी लगवाई गई । एस डी एम् श्री बी एस कुशवाहा , एस डी ओ (पि डब्ल्यू डी ) श्री अरुण कुमार जैन , भा ज पा के पूर्व जिला महामंत्री बजरंग पुरोहित , श्री पद्माकर पागे, डॉ सविता जैन , अशोक गंगवाल , दीपक बरैया आदि बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे । कार्यक्रम का संचालन ग्रुप के संस्थापक राजेश घोटीकर ने किया ।

गुरुवार, 26 अगस्त 2010

मदर टेरेसा का १०० वां जन्मदिन मनाया







संत जोसेफ कॉन्वेंट स्कुल द्वारा मदर टेरेसा के जन्म दिवस के उपलक्ष में कार्यक्रम आयोजित किया गया । बालाचार्य श्री योगीन्द्र सागर जी को इस कार्यक्रम में विशेष तौर पर आमंत्रित किया गया ।
महंत गोपालदास जी महाराज , ग्रंथि जी , ब्रम्हचारी बहन एवं फर्स्ट चर्च के खिमला जी ने यहाँ सेवा कार्यों के प्रति मदर टेरेसा को अपनी शब्दांजलि दी।
बालाचार्य जी ने कहा कि सभी धर्म मूलतः एक सी बातें ही कहते हैं । मगर कुछ ही लोग होते है जो साम्प्रदायिकता से परे रहकर अपनी सेवाए दिया करते है । घमंड त्याग कर सेवा करना आज जरूरी हो गया है ।

सोमवार, 23 अगस्त 2010

आज की आवश्यकता है सम्प्रदाय निरपेक्षता



भगवान् शिव मोक्ष और कल्याण मार्ग है। जिसके मन के भाव और क्रिया एकरूप होती हैं वे शिवयात्रा के भागी होते हैं। जैसे संतों की मृत्यु शवयात्रा नहीं होती, वैसे ही संयमी की भी शिवयात्रा ही होती है । केदारेश्वर पावन शिवधाम है, यहाँ पहुँचने वाले का निश्चित ही कल्याण होता है उसे सदगति प्राप्त होती है । उक्त बात बालाचार्य श्री योगीन्द्र सागर जी ने सैलाना-शिवगढ़ रोड पर स्थित केदारेश्वर तीर्थ पर बर्ड्स वाचिंग ग्रुप द्वारा श्रावण के अंतिम सोमवार को आयोजित कार्यक्रम में प्रवचन के दौरान कही। उन्होंने कथानक के माध्यम से बताया कि कैसे पूर्व कर्म और वर्तमान कर्म घटते बढ़ते रहते हैं और इसका लोक परलोक में क्या प्रभाव पड़ता है। दुनिया के एश्वर्य से भ्रमित न होकर सत्य कर्म करना हितकर है,यही कर्म शिव प्राप्ति में सहायक हैं। आज से पचास बरस पहले धर्म निरपेक्षता की आवश्यकता थी, मगर आज के परिवेश में साम्प्रदाय निरपेक्षता की आवश्यकता है। मानवता के प्रयत्नों में एक झण्डे के नीचे आना जरूरी हो गया है।
प्रारंभ में विनयांजलि बर्ड्स वाचिंग ग्रुप के संस्थापक श्री राजेश घोटीकर, एस डी एम् श्री बी एस कुशवाहा, एस डी ओ पि डब्ल्यू डी श्री अरुण कुमार जैन ने पुष्प भेंट कर की।
इस अवसर पर अशोक गंगवाल, बजरंग पुरोहित, पद्माकर पागे, रोटरी सेन्ट्रल के विनोद मूणत, अशोक पिपाड़ा, सुशील गोरेचा, पर्यावरण जाग्रति मंच के इश्वर पाटीदार और राधेश्याम सोनी, योगी सेवा समिति और शीतल तीर्थ व्यवस्थापिका डॉ सविता जैन, दीपक बरैया तथा हजारो की संख्या में धर्मालुजनो द्वारा भगवान् महादेव् का दर्शन एवं प्रवचनों का पुण्य लाभ लिया गया ।

रविवार, 15 अगस्त 2010

जीवन में स्वतंत्र बने , स्वच्छंद नहीं

जीवन में स्वतंत्र बने , स्वच्छंद नहीं। स्वतन्त्रता कल्याण का मार्ग दिखाती है, जबकि स्वच्छंदता पतन के मार्ग पर ले जाती है। स्वतन्त्रता दिवस के अवसर पर बालाचार्य श्री योगीन्द्र सागर ने उपरोक्त बात शीतल तीर्थ पर चातुर्मास के दौरान प्रति रविवार आयोजित प्रवचन माला में कही। उन्होंने इंसान को तोते से सीख लेने की बात कही , उन्होंने कहा तोता पिंजरे में रहता है और वहां सभी सुविधाए होने के बावजूद दरवाजा खुला मिलते ही उड़ जाता है। ठीक वैसे ही इंसान को भी रहना चाहिए, उसे किसी भी गुलामी या परतंत्रता से छुटकारा पाने को उद्यत रहना चाहिए। आज का इंसान एसा बन गया है जैसे कबूतर बार बार अपने दडबे में आ घुसता है, जबकि उसे खुला छोड़ा जाता है। गुरु ही इन बातों से सावधान या सचेत कर सकता है संत या महात्मा ही है जो उस्शार का मार्ग प्रशस्त लार सकते हैं । आज भारत अपनी स्वतंत्रता दिवस की वर्षगांठ मना रहा है मगर इंसान या मानव की असल स्वतंत्रता संन्यास में निहित है । संन्यास लिए जाने पर ही सम्यक ज्ञान, क्रिया और श्रद्धा का तिरंगा लहराएगा । गुरु अपने अनुभव के जरिये ज्ञान का प्रकाश फैलाता है इसलिए उसका आभार मानते हुए ऋणी बने रहना चाहिए । उन्होंने स्वलिखित गीत के माध्यम से " मुझे तुमने गुरुवर बहुत कुछ दिया है ....." की संगीतमय वन्दना आचार्य गुरुवर शीतल कीर्ति जी महाराज को विनयांजलि के रूप में अर्पित की और उनके निर्वाण तिथि का उल्लेख किया । आचार्य गुरुवर शीतल कीर्ति जी महाराज की निर्वाण तिथि के साथ साथ २३ वे तीर्थंकर भगवान् पार्श्वनाथ का निर्वाण उत्सव महाकवि संत श्री तुलसीदास जी के निर्वाण तिथि को मनाये जाने की बात कही ।
रान देवरा बनाए गए बेनर का विमोचन इस अवसर पर किया गया।
संचालन करते हुए डॉ सविता जैन ने विदेशी मानसिकता के खतरों से आगाह कर स्वतंत्रता दिवस के परिप्रेक्ष में आयातित सामान और भाषा प्रभावित न होने को कहा ।
मुनि श्री यशोधर सागर जी महाराज ने कहा की ऋषभदेव जी ने आत्मा की स्वतन्त्रता का पाठ स्वर्ग की अप्सरा की मृत्यु से प्रभावित होकर वैराग्य लेने के बाद बताई है।
रामदेवरा तीर्थ जाने वाले यात्रियों के लिए सुचना हेतु /यात्रियों को निशुल्क स्वल्पाहार की व्यवस्था १६ जुलाई से दिए जाने सम्बन्धी बनवाए गए बेनर का विमोचन ईश्वर जी , राजारामजी , बजाराम जी , देवीलाल जी , नाथूलाल जी , कृष्ण सिंह जी आदि ने किया ।
गायत्री मन्त्र का पाठ कु................ त्रिपाठी ने किया । प्रारम्भ में "गुरुदेव कृपा करके............." भजन की प्रस्तुति चातुर्मास समिति के अध्यक्ष श्री पुखराज जी सेठी ने दी । प्रभावना पाटीदार बंधू एवं बालीजी पांड्या के सौजन्य से वितरित की गई ।

शनिवार, 14 अगस्त 2010

आचरण की आवश्यकता








जिस भारत को संस्कृति के रूप में याद किया जाता रहा है । आज ये संस्कृति विकृति की राह पर है, इसके लिए पाश्चात्य संस्कृति को दोष दिया जाता है जो उचित नहीं है । आज हम संस्कृति , सभ्यता की बातें करते हैं किन्तु पालन नहीं । भारतीय संस्कृति में सुबह सवेरे माँ पिता के चरण छूने की संस्कृति रही है । साथ बैठकर भोजन करना हमारी सभ्यता का हिस्सा है । हिंदी भाषा हमारी मूल संस्कृति और संस्कार है, लेकिन हमने अंग्रेजी भाषा का चलन अपनाया है , भोजन व्यवस्था बफेट को अपनाया है । हम इन सभी बातों के लिए पाश्चात्य संस्कृति को दोष देते हैं जो उचित नहीं है। माँ का शब्द प्रेम और पीड़ा से भरा था उसे भी अपनाना छोड़ दिया है । इन सबकी वजह हमारे अपने घरो से जुडी है । संस्कृति का पाठ हमारे घर से प्रारंभ होता था जो अब नहीं हो रहा है । माँ से मम्मी , ममा होते हुए अब यह यार मम्मी तक आ पहुंचा है । बच्चे की प्रथम गुरु माँ है अतः बच्चे को संस्कार घर से मिलने चाहिए । उक्त बात बालाचार्य योगीन्द्र सागरजी महाराज ने स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष में सरस्वती शिशु मंदिर में आयोजित कार्यक्रम में कही । उन्होंने शिक्षालय को मानव से महामानव बनाए जाने का स्थान निरुपित कर कहा की । छत्रपति शिवाजी को संस्कार माता जिजा से प्राप्त हुए थे । शिवाजी , राधाकृष्णन,महावीर जैसे महापुरुष संस्कृति सुधरने से ही संभव है । भारत में रहने वाला हर व्यक्ति हिन्दू है । हिन्दू का अर्थ है जो हिंसा से दूर रहे । अहिंसा वीरता सीखाती है । हिन्दू व्यवस्था का पालन करें । भारतीय संस्कृति को आगे बढाए । इस अवसर पर पंडित श्याम जी कृष्ण वर्मा के चित्र को स्कुल प्रांगन में लगाने हेतु अनावरण भी किया गया ।
"जयकारा सब बोलो मेरे योगी गुरुवर का " गीत से कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ । यह गीत रिनी जैन ने प्रस्तुत किया । तबले पर संगत राहुल तिवारी ने की । सरस्वती प्रार्थना श्रीमती चितले दीदी ने करवाई । कपिल जी व्यास ने अतिथि परिचय दिया । स्वागत उद्बोधन प्राचार्य बालाराम जी गुप्ता ने दिया। अणुव्रत ज्योति जगाये गीत शाला के भैया बहनों ने प्रस्तुत किया । श्रीफल की भेंट प्रकाश जी मूणत , दीदी इंदिरा व्यास , नीता दीदी , दत्तात्रेय जी चाव्हाण, वीरेंद्र सकलेचा , गोपाल जी काकानी , प्रतिमा सोनटक्के दीदी , गोविन्द जी अग्रवाल, कविता दीदी , देवड़ा जी, कपिल वैष्णव , दिव्या कोठारी , मंगला बाई आदि ने प्रस्तुत कर विनयांजलि दी । इस अवसर पर बड़ी संख्या में छात्र वृन्द उपस्थित थे ।

शुक्रवार, 13 अगस्त 2010

१६ अगस्त को पार्श्वनाथ जयंती मनेगी

शीतल तीर्थ धाम पर प्रभु पार्श्वनाथ भगवान् की निर्वाण तिथि का कार्यक्रम आयोजित किया गया है । २३ वे तीर्थंकर प्रभु पार्श्वनाथ जी को इस अवसर पर २३ किलो का निर्वाण लाडू चढ़ाया जावेगा । बालाचार्य श्री योगीन्द्र सागर जी की निश्रा में यहाँ इस अवसर पर धार्मिक आयोजन धूमधाम से मनाया जावेगा ।
इसी दिन रामचरित मानस के रचयिता श्री तुलसीदास जी की जयंती है । श्री तुलसी दस जी के जीवन वृत्त पर आधारित परिचर्चा का आयोजन किया जाएगा उक्त जानकारी प्रचार प्रमुख अशोक गंगवाल ने दी ।

सरस्वती शिशु मंदिर में स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम

बालाचार्य योगीन्द्र सागर जी महाराज सा को स्वतन्त्रता दिवस के उपलक्ष में दिनांक १४ अगस्त को आमंत्रित किया गया है । सरस्वती शिशु मंदिर काटजू नगर में स्वतंत्रता दिवस के परिपेक्ष में आयोजित कार्यक्रम ख़ास तौर पर विद्यार्थियों के लिए रखा गया है ।

सोमवार, 9 अगस्त 2010

मन की शुद्धता परमेश्वर प्राप्ति में सहायक है

ऋषि मुनियों ने कहा है की शरीर मलीन है , इसे परमात्मा के स्मरण के साथ पवित्र एवं सदकार्यो में लगा देने से यह श्रेष्ठ कहलाता है इसलिए प्रार्थना नाम स्मरण कर नश्वर शरीर का ठीक प्रकार से उपयोग करना चाहिए ।उक्त बात बालाचार्य श्री १०८ योगीन्द्र सागर जी महाराज ने यहाँ शीतल तीर्थ पर आयोजित धर्म सभा को सम्बोधित कर कही उन्होंने कहा कि शरीर को सद्कार्यो में उपयोग लोगे तभी अंत में तुम्हारी शव यात्रा शिव यात्रा होगी । आज मनुष्य शरीर का गुलाम बन गया है परमात्मा एवं संत सेवा कर इसे श्रेष्ठ बनावे । अहिंसा की दृष्टी रखकर चलना श्रेष्ठ है । आपकी दृष्टी में क्रूरता प्रकट नहीं होनी चाहिए । भावना दिखावा रहित अच्छी होनी चाहिए । यह सब तभी होगा जबकि मन पवित्र होगा , निर्मल होगा । मन की पवित्रता और शुद्धताहोगी तभी परमेश्वर वहां निवास करेंगे। मन को मंदिर बनाओ , मन को मसान मत बनाओ । अंतर्मन की भावना को बदलो , दृष्टी को बदलो , जब ठीक जगह लगन लगेगी तभी मन शुद्ध हो सकेगा ।
एक व्यापारी के दिवालिया होने से लगाकर पुनः संपन्न हो जाने के मध्य घटित उसके अनुभव और ज्ञान का कथानक सुनाते हुए यशोधर सागरजी ने कहा कि धर्म कि शरण संसारी व्यक्ति के लिए सर्वोत्तम है । गुरु कि शरण भी संसारी को पतित होने से बचाने में सहायक है ।
शीतल धाम पर निर्मित होने जा रहे ५० फुट ऊँचे कैलाश पर्वत कि जानकारी संयोजिका डॉ सविता जैन ने संचालन करते हुए बताई । उनका जन्म दिन भी उपस्थित श्रद्धालुओं ने मनाया । जय गुरु योगी भक्त मंडल के श्री विष्णु त्रिपाठी ने भी सविताजी के कार्यों कि प्रशंसा कि और उनके सतत प्रयासों कि सराहना कर जन्मदिन कि बधाई दी । संगीत सभा में गोपाल जोशी तथा भागीरथ बा ने सुमधुर भजनों से समाँ बांधा . प्रारंभ में बसंत कुमार जैन, दिलीपजी जैन , प्रियांश जैन, बजरंग पुरोहित, राकेश सकलेचा , हेमंत भरगट , नन्दकिशोर सोनी, शांतिलाल परमार , देवीलाल जी आदि ने श्रीफल भेंट कर विनयांजलि दी । शीतल तीर्थ समिति के महावीर गांधी , महेंद्र पाणोत , अनिल पापरीवाल , जीवन गांधी , सुशील कुमार जैन तथा महाराज श्री के शिष्यवृन्द श्री यशोधर सागर जी ,श्री यग्य सागर जी ,श्री युग सागर जी , श्री स्वयंभू सागर जी , आर्यिका श्री अभेदमति माताजी , श्री सुग्रीवमति माताजी ,श्री यशोधरमति , ब्रह्मचारी अशोक भय्या जी उपस्थित थे
प्रभावना डेलनपुर के राजाराम जी जाट तथा बालूजी महाराज की और से वितरित की गई ।

शुक्रवार, 6 अगस्त 2010

१४ जून के कार्यक्रम के फोटोस
















शीतल तीर्थ धाम पर निर्मित की गई भोजन शाला एवं आहारशाला का लोकार्पण मध्य्प्रदेह शासन के गृह मंत्री माननीय श्री उमा शंकर गुप्त के कर कमलों से हुआ । नगरीय प्रशासन मंत्री मनोहर ऊंटवाल , पूर्व गृह मंत्री हिम्मत कोठारी , महापौर शेलेन्द्र डागा, विधायक पारस सखलेचा आदि मौजूद थे ।
डॉ सविता जैन द्वारा विधान पूर्वक उक्त उदघाटन कराया गया जबकि शीतल धाम समिति के दीपक गोधा , अशोक गंगवाल आदि लगभग १५०० लोगों की उपस्थिति में यह कार्यक्रम संपन्न हुआ ।
योगीन्द्र सागर जी महाराज ने इस अवसर पर अपने आशीर्वचन प्रदान किये ।

शिष्यवृन्द श्री यशोधर सागर जी ,श्री यग्य सागर जी ,श्री युग सागर जी , आर्यिका श्री अभेदमति माताजी , श्री सुग्रीवमति माताजी ,श्री यशोधरमति , ब्रह्मचारी अशोक भय्या जी मंचस्थ थे ।

रविवार, 1 अगस्त 2010

गुरुमन्त्र, श्रद्धा और विश्वास

चातुर्मास कार्यक्रमों के अंतर्गत प्रवचनों कि श्रंखला का "शीतल तीर्थ धाम" पर प्रति रविवार आयोजन किया जा रहा है । बालाचार्य श्री १०८ योगीन्द्र सागर जी महाराज ने उपस्थित धर्मावलम्बियों को संबोधित कर कहा कि ऋषियों कि कही बातें ध्यान देने की है । गुरु वाक्य मंत्र का मूल है । मंत्र वही है जो मन को तर करे अर्थात तृप्ति दे, आकुलता /व्याकुलता को मिटाए । मंत्र जाप करने से दृढ विश्वास की प्राप्ति होती है । आज के युग में संदेह अधिक है इसलिए मंत्र में भी विश्वास जरूरी हो गया है । विश्वास रखने से ही मंत्र में श्रद्धा उत्पन्न होती है । विश्वास ही फल प्रदाता है । श्रद्धा परमं पापं , श्रद्धा पाप विमोचिनी कहते हुए उन्होंने कहा श्रद्धा में यदि विश्वास हो तो परमात्मा को भी चलकर आना पड़ता है इसके कई कथानक धर्म ग्रंथो में है । परमात्मा में रत व्यक्ति सुखी व् संपन्न रहता है क्योंकि विश्वास रुपी कर्म का फल सभी को मिलता है ।

बालाचार्य जी के शिष्य श्री यशोधर सागरजी ने गुरु मंत्र की महिमा एक कथानक के माध्यम से समझाई, उन्होंने बताया कि किसप्रकार सांप के काटे व्यक्ति का ईलाज मंत्र पर विश्वास मात्र से संभव हो गया ।

प्रवचन पश्चात प्रभावना का सौभाग्य बालू जी पांड्या ( लड्डूवाले सेठ ) ने लिया प्रारंभ में रतलाम के कमलेश गंगवाल, तनसुखराय गडिया, राजेश घोटीकर देलनपुर के राजाराम चोधरी, वजाराम जी, शिवगढ़ के बालाजी बाँसवाड़ा के देवचंद जैन, पंकज कुमार जैन, जिनेन्द्र जैन, नीतेश जैन आदि ने विनयांजलि स्वरुप श्रीफल भेंट किए । कार्यक्रम का संचालन डॉ सविता जैन ने किया।

शुक्रवार, 30 जुलाई 2010

प्रवचन प्रति रविवार को

बालाचार्य श्री योगीन्द्रसागर जी महाराज का वर्षायोग पावन तीर्थ क्षेत्र शीतल धाम पर चातुर्मास के रूप में मनाया जा रहा है । वर्षावास के दौरान प्रवचन श्रंखला का आयोजन १ अगस्त की दोपहर से प्रति रविवार दोपहर २:०० बजे से किया जा रहा है । नगर के समस्त धर्म प्रेमी इस आयोजन में शामिल होकर लाभ उठावें । उक्त आशय की जानकारी देते हुए वर्षावास समिति पदाधिकारीयो ने बताया की बालाचार्य जी के प्रवचनों का लाभ लेने के लिए शीतल धाम पर विशेष व्यवस्था की गई है । वर्षा से बचाव के लिए यहाँ पांडाल लगाया गया है ।