ऋषि मुनियों ने कहा है की शरीर मलीन है , इसे परमात्मा के स्मरण के साथ पवित्र एवं सदकार्यो में लगा देने से यह श्रेष्ठ कहलाता है इसलिए प्रार्थना नाम स्मरण कर नश्वर शरीर का ठीक प्रकार से उपयोग करना चाहिए ।उक्त बात बालाचार्य श्री १०८ योगीन्द्र सागर जी महाराज ने यहाँ शीतल तीर्थ पर आयोजित धर्म सभा को सम्बोधित कर कही उन्होंने कहा कि शरीर को सद्कार्यो में उपयोग लोगे तभी अंत में तुम्हारी शव यात्रा शिव यात्रा होगी । आज मनुष्य शरीर का गुलाम बन गया है परमात्मा एवं संत सेवा कर इसे श्रेष्ठ बनावे । अहिंसा की दृष्टी रखकर चलना श्रेष्ठ है । आपकी दृष्टी में क्रूरता प्रकट नहीं होनी चाहिए । भावना दिखावा रहित अच्छी होनी चाहिए । यह सब तभी होगा जबकि मन पवित्र होगा , निर्मल होगा । मन की पवित्रता और शुद्धताहोगी तभी परमेश्वर वहां निवास करेंगे। मन को मंदिर बनाओ , मन को मसान मत बनाओ । अंतर्मन की भावना को बदलो , दृष्टी को बदलो , जब ठीक जगह लगन लगेगी तभी मन शुद्ध हो सकेगा ।
एक व्यापारी के दिवालिया होने से लगाकर पुनः संपन्न हो जाने के मध्य घटित उसके अनुभव और ज्ञान का कथानक सुनाते हुए यशोधर सागरजी ने कहा कि धर्म कि शरण संसारी व्यक्ति के लिए सर्वोत्तम है । गुरु कि शरण भी संसारी को पतित होने से बचाने में सहायक है ।
शीतल धाम पर निर्मित होने जा रहे ५० फुट ऊँचे कैलाश पर्वत कि जानकारी संयोजिका डॉ सविता जैन ने संचालन करते हुए बताई । उनका जन्म दिन भी उपस्थित श्रद्धालुओं ने मनाया । जय गुरु योगी भक्त मंडल के श्री विष्णु त्रिपाठी ने भी सविताजी के कार्यों कि प्रशंसा कि और उनके सतत प्रयासों कि सराहना कर जन्मदिन कि बधाई दी । संगीत सभा में गोपाल जोशी तथा भागीरथ बा ने सुमधुर भजनों से समाँ बांधा . प्रारंभ में बसंत कुमार जैन, दिलीपजी जैन , प्रियांश जैन, बजरंग पुरोहित, राकेश सकलेचा , हेमंत भरगट , नन्दकिशोर सोनी, शांतिलाल परमार , देवीलाल जी आदि ने श्रीफल भेंट कर विनयांजलि दी । शीतल तीर्थ समिति के महावीर गांधी , महेंद्र पाणोत , अनिल पापरीवाल , जीवन गांधी , सुशील कुमार जैन तथा महाराज श्री के शिष्यवृन्द श्री यशोधर सागर जी ,श्री यग्य सागर जी ,श्री युग सागर जी , श्री स्वयंभू सागर जी , आर्यिका श्री अभेदमति माताजी , श्री सुग्रीवमति माताजी ,श्री यशोधरमति , ब्रह्मचारी अशोक भय्या जी उपस्थित थे ।
प्रभावना डेलनपुर के राजाराम जी जाट तथा बालूजी महाराज की और से वितरित की गई ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें