प्रज्ञा पुरुषोत्तम श्री १०८ बालाचार्य योगीन्द्रसागरजी महाराज सा

प्रज्ञा  पुरुषोत्तम श्री १०८ बालाचार्य योगीन्द्रसागरजी महाराज सा

रविवार, 12 सितंबर 2010

अपना संशोधन करें ....... बालाचार्य जी

जटाजूट माला तिलक
हुए शीश के भार ।
भेष बदल क्या हुआ
अपना चित्त सुधार ।।
भेस बदलने में नहीं , कौड़ी लगे छलांग ।
भेस बदलना सरल है , तू तो बदल विचार । ।
उक्त पंक्तिया बालाचार्य जी ने शीतल धाम में प्रति रविवार आयोजित धर्म सभा को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने जीवन को सहज और सरल बनाने पर जोर दिया । व्यक्ति को सन्मार्ग पर लाने के लिए गुरुओं के द्वारा किये गए प्रयासों को भी विस्तार से समझाया ।
प्रारंभ में विनयांजलि विजय जी ओर जावरा, बजरंग जी पुरोहित, राजेश जी घोटीकर, निर्मल जी जैन, पदमजी सहलावत जयंतीलाल जी जैन, डेलनपुर के फूलचंद जी, बजारामजी , कैलाश जी उपाध्याय , मोतीलाल जी पाटीदार , भरतलाल जी पाटीदार , भेरुलाल जी पाटीदार , रामलाल जी , बाबूलाल जी आदि ने श्रीफल भेंट कर कि।
अभेद मति माताजी ने सभा को सम्बोद्झित कर कहा - नियम कि महत्ता जीवन को सफल बनाती है इन्हें अंतिम साँसों तक पालन करें । अहिंसा के बिना कोई धर्म नहीं है इसलिए हिंसा त्यागें । प्रभावना का सौभाग्य धामनोद के श्री देवीलाल ने लिया ।

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