प्रज्ञा पुरुषोत्तम श्री १०८ बालाचार्य योगीन्द्रसागरजी महाराज सा

प्रज्ञा  पुरुषोत्तम श्री १०८ बालाचार्य योगीन्द्रसागरजी महाराज सा

रविवार, 12 सितंबर 2010

कर्तव्य ही धर्म है.

बाबा रामदेव को लोग बाबा रामापीर के नाम से भी जानते हैं । साईबाबा और अनेको विभूतियाँ हुई जिन्होंने भाई चारे का सन्देश पहुंचाया है । अवतारों का पूर्ण ब्योरा मिल जाता है मगर इन संतों का ब्यौरा मिलना नामुमकिन है । सामाजिक सौहार्द्रता के कई प्रयास संतों ने किए है इसीलिए इनके स्थानों पर सभी धर्म के लोग आते जाते है ।
"आज देश को दुश्मन से नहीं गद्दारों से ख़तरा है ,
खजाने को चोरों से नहीं पहरेदारों से ख़तरा है।"
उक्त बात बलाचारी श्री १०८ योगीन्द्र सागर जी महाराज ने बाबा रामदेव कि जयंती के अवसर पर आयोजित सभा में कही । उन्होंने सागोद स्थित बाबा रामदेव के मंदिर में अपने प्रवचन देते हुए कहा कि असुर, अधम और अभिमानी जब कभी पैदा होते हैं संतों या महापुरुषों को अवतरित होना पड़ता है । आज लोग अभिमान कि जकड में है । ये अभिमान ८ प्रकार के हैं । (ज्ञान /पूजा /कुल / जाति/ बल/रिद्धि/तप एवं वपु )। ज्ञान का बोध , पूजनीय हो जाने पर , जाति और कुल में जन्म , शारीरिक और जन बन , धन बल , तप कर लेने पर और रूप-सौन्दर्य का घमंड ।
बाबा रामदेव संस्कारों को प्रेरित कर गए है इनका पालन करें । आज रामापीर कि जयंती के साथ आचार्य शांति सागर जी का देवलोक प्रयाण भी हुआ है दोनों महान संतों का स्मरण कर उनके बताए आचरण अपने जीवन में उतारने का प्रयास हो।
कार्यक्रम का संचालन रामेश्वरजी मुंशी ने किया । कार्यक्रम उपरान्त भंडारे का आयोजन मंदिर समिति ने किया ।

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