प्रज्ञा पुरुषोत्तम श्री १०८ बालाचार्य योगीन्द्रसागरजी महाराज सा

प्रज्ञा  पुरुषोत्तम श्री १०८ बालाचार्य योगीन्द्रसागरजी महाराज सा

मंगलवार, 27 दिसंबर 2011

mahatapo martand aacharya sanmati sagarji ka pratham samadhi diwas par tridiwasiya ayojan sri digamberjain shitaltirth ratlam par chaturth pattachary yogindrasagarji ke sanidhya me.

दिनांक २२-१२-११ से दिनांक २४-१२-११ तक श्री दिगम्बर जैन शीतल्तीर्थ   रतलाम म० प्र० में आचार्य सन्मति सागरजी के चतुर्थ पत्ताचार्य  श्री योगीन्द्रसगार्जी के सानिध्य में मनाया गया. दी  २२-१२-११ को प० पू० वात्सल्य रत्नाकर आचार्य विमल सागरजी  का १७व समाधीदिवस पर प्रातः आचार्यश्री की प्रतिमा का पूजन अभिषेक किया गया. दोपहर की सभा को संबोधित करते हूए चतुर्थ पत्ताचार्य   श्री योगीन्द्र सागरजी ने कहा की वर्तमान में आचार्य विमल सागरजी जैसा निमित्त ज्ञानी हो नहीं सकता है, क्योंकि उनकीभविष्यवाणी  का में स्वयं  उदहारण हूँ . आचार्य विमल सागर जी महाराज  ने मेरी २७ दिन की आयो में ही घोषणा कर दी थी की ये बालक घर में नहीं रहेगा संत बनेगा, ब्राह्मन कुल में जन्म होने से किसी को कल्पना भी नहीं थी की में गौतम गणधर की परम्परा का अनुसरण  करूगा. उन्हों ने  अपने जीवन कई लोगो का उपकार किया एवं लोगो को जैन धर्मं में श्रधान मजबूत  किया . में ऐसे आचार्यशी  विमल सागरजी  के चरणों में वंदन कर स्वयं को धन्य समझाता हूँ . दि .२३-१२-११ को रिषिमंडल विधान किया गया जिसका लाभ  श्री राजेश मेहता खान्दुकोलोनी बांसवाडा  राज. परिवार ने लिया .दि .२४-१२-११ को प्रातः आचार्य श्री सन्मति सागरजी की प्रतिमा का पंचामृत अभिषेक किया गया .१०८ कलशो की दुग्ध धरा की गयी. दोपहर की सभा में आचार्य सन्मति सागरजी की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन श्री विजय ओरा जावरा,श्री तेजकरण मालवीय,श्री कमलजी हथियावत. खान्दू कालोनी बांसवाडा आदि ने किया. पुष्पार्चन श्री अभय जैन  उज्जैन,श्री दीपक गोधा ने किया. सभा का मंगलाचरण सुप्रसिद्ध कवि श्री उत्सव जैन नौगामा राज. ने किया . सभा को श्री तनसुख राय गडिया  रतलाम,श्री अनिल पापदीवाल  रतलाम,मनोज जैन भिंड, अभय जैन एवं मुनि यद्वेंद्रनाथ मुनि यतीन्द्र नाथ आदि ने संबोधित  किया. अंत में चतुर्थ पत्ताचार्य योगीन्द्र सागर जी ने संबोधित करते हुए  समाधी के अर्थ को बताते हुए कहा  की  सम#धी का अर्थ है की जिसकी बुद्धि सम है . जो सभी परीस्थितियो में सम रहे . गृहस्थ को शरीर छोड़ता है जबकि साधू शरीर  को छोड़ता है. जब साधू को लगता है की शरीर अब धर्म साधन करने योग्य नहीं रह गया है. तो  वह शरीर का परित्याग करने को तैयार हो जाता है . मेरे गुरुदेव आचार्य श्री सन्मति सागरजी महाराज ने १२ वर्ष की समाधी ले ली थी किन्तु १२ वर्ष पुरे होने के १२ दिन पहले  ही शरीर को छोड़ दिया . वैसे तो संत का समाधी मरण  महोत्सव का कारन होता है. किन्तु हमारे गुरु का शरीर परित्याग करना हमारे लिए अपूर्णीय क्षति है . जब तक ऊपर मस्तक पर गुरु का आशीर्वाद होता है एक निश्चिंतता  रहती है.  हमे जिस तरह गुरु ने मोक्ष मार्ग का पथिक बने है वैसे ही हमे कभी किसी भी मार्गदर्शन की आवश्यकता होगी तो गुरुदेव से ले लेंगे. किन्तो अब तो जिम्मेदारी  भी बढ  गई है. में उस महान तपस्वी आत्मा को आचार्य अवस्था में ध्यान में रख कर सिद्ध भक्ति, श्रुत भक्ति , समाधी भक्ति सहित नमन करता हूँ.में आचार्य श्री का ऋणी हूँ की उन्होंने मुझे जैनेश्वरी दीक्षा देकर मुझे इस मार्ग पर लगाया है  .
   

शुक्रवार, 16 दिसंबर 2011

patrika22 23 24

गुरुवार, 15 दिसंबर 2011

जीवन में निश्चय एवं व्यवहार दोनों जरुरी है .

जिस तरह कोई भी गाड़ी एक पहिये से नहीं चल सकती है, उसे चलने के लिए दोनों पहिये कि आवश्यकता होती है , ठीक उसी तरह धर्म रूपी गाड़ी भी निश्चय एवं व्यवहार दोनों मार्गो कि आवश्यकता होती है। परमात्मा की प्राप्ति के लिए दोनों की आवश्यकता होती है। केवल निश्चय या केवल व्यवहार से परम सत्ता को प्राप्त नहीं कर सकते है । अतएव हमे सम्यक रूप से दोनों मार्ग अपनाने चाहिए .जहाँ चाकू की जरुरत है वहा चाकू एवं जहाँ सुई की जरुरत वहां सुई का प्रयोग ही करना चाहिए । गृहस्थ धर्म का पालन करते हुऐ। समय अनुसार प्राथमिकता तय करना चाहिए.

गुरुवार, 8 दिसंबर 2011

मन को मारो मत मन को मोड़ो

दि।। ४-११-११ को चतुर्थ पटटाचार्य श्री योगिन्द्रसगार्जी महाराज ने शीतलतीथॅ पर आयोजित धर्मसभा में कहा कि मानव को अपने मन को मारने कि जगह मन को मोड़ने का प्रयास करना चाहिए क्योकि हम जिस चीज से दूर भागना चाहते है वह चीज उतनी ही हमारे मन में अपना घर बनाती जाती है। हमें मन को दुसरे काम में लगाकर मन की दिशा को बदलने का प्रयास करना चाहिए। यदिहम परछाई को पकड़ने की कोशिश करतेहै तो वह आगे चलती जाती है, किन्तू यदि हम पीठ कर लेते है तो वही परछाई हमारे पीछे दौड़ने लगती है। वेसे ही मन कि आदत है , आप जितना इसके अनुसार चलेगे वह भटकाएगा यदि किसी और काम में लगा दिया तो यह उस काम लग जायेगा । इसलिए इसे किसी सकारात्मक काम मे लगा देना चाहिए । यदि मन ही रहेगा तो भगवान का भजन कैसे करेंगे । मन को सुमन बनाये कुमां नहीं। कार्यक्रम के प्रारंभ में पुखराज सेठी जावरा ने मंगलाचरण कर गुरु वंदना की। मनोज जैन ने स्वागत भाषण दिया । कार्यक्रम का सशक्त सञ्चालन डॉ सविता जैन ने किया।

शनिवार, 19 नवंबर 2011





रविवार, 13 नवंबर 2011

श्रद्धावान विवेकवान क्रियावान ही श्रावक कहलाने योग्य

श्रावक को तुलसीदास जी ने सरावग लिखा है . जो व्यक्ति श्रद्धावान विवेकवान क्रियावान है वाही श्रावक कहलाने योग्य है उक्त बात पट्टाचार्य श्री योगीन्द्र सागर जी महाराज ने तपोनिष्ठ वन्दना के अगले रविवार को संपन्न धर्म सभा को संबोधित करते हुए कही. जिस श्रावक का घर आनद से परिपूर्ण हो, संतान विवेकी हो, पत्नी मृदु संभाशिणी हो, भगवान का पूजन नित होता हो, अतिथि सत्कार होता हो, संत सेवा होती हो, हाथों से नियमित दान होता हो, आज्ञापालक नौकर हो इसे श्रावक का ही गृहस्थाश्रम धन्य है.

उन्होंने प्रारंभ में " मत ले जा रे पंछी तू औरों के अंगना ................. कोई किसी का दर्द घटा दे , एसा ये संसार नहीं है." की संगीतमयी प्रस्तुति देकर उपदेश प्रदान किये.



प्रारंभ में गुरु वंदना करते हुए रतलाम विकास प्राधिकरण अध्यक्ष विष्णु त्रिपाठी ने कहा की शीतल तीर्थ की कीर्ति देश भर में विस्तार पा रही है.

सर्वश्री राजेश जैन जम्बू सोनी, दिलीप जैन, जगदीश व्यास, लोकेन्द्र सिंह, सत्येन्द्र जैन, शशांक जैन आदि ने विनयांजलि प्रस्तुत की. संचालन डॉ सविता जैन ने किया. उप्रिक्त जानकारी शीतल तीर्थ प्रवक्ता अशोक गंगवाल ने दी

बुधवार, 9 नवंबर 2011

स्वर्ण जयंती संयमोत्सव



















शीतल तीर्थ धर्म और सेवा का पर्याय बन गया है. आयुर्वेदिक अस्पताल निर्माण में अपनी किसी भी भागीदारी के लिए तत्पर रहूँगा. उक्त बात मध्य प्रदेश शासन के स्वास्थ्य मंत्री माननीय श्री महेंद्र जी हार्डिया ने कही वे यहाँ आचार्य श्री सन्मति सागर जी महाराज के पचासवे दीक्षा वर्ष के पूर्ण होने पर आयोजित किए गए स्वर्ण जयंती संयमोत्सव के अवसर पर संबोधित कर रहे थे .

पट्टाचार्य १०८ श्री योगीन्द्र सागर जी महाराज की निश्रा में आयोजित वागीश्वरी पुरस्कार समारोह तथा संयमोत्सव के अवसर पर उन्होंने बुजुर्गो को श्रवण यंत्र तथाdr. savita jain ujjain द्वारा लिखे गए भजनों की सी डी का विमोचन भी किया .भजनों को विनोद गौड़ एवं पार्टी द्वारा संगीतबद्ध किया गया है .

मध्यप्रदेश के पर्यावरण मंत्री जयंत मलैया ने इंदौर के डॉ अनुपम जैन को वागीश्वरी पुरस्कार प्रदान किया . शीतल तीर्थ द्वारा प्रति वर्ष दिए जाने वाले इस पुरस्कार में रूपए ५०००० पचास हज़ार प्रदान किए जाते हैं. समारोह के दौरान पचास विद्वानों का प्रशस्ति पत्र एवं शाल श्रीफल से सम्मान किया गया

राजस्थान के शिक्षा मंत्री महेंद्र सिंह मालवी ने पट्टाचार्य १०८ श्री योगीन्द्र सागर जी महाराज के व्यक्तित्व में अपनी भावनाए प्रकट की.

समारोह का आतिथ्य उपरोक्त मंत्रीयों के साथ मध्यप्रदेश के पूर्व गृह मंत्री श्री हिम्मत कोठारी, रतलाम महापौर श्री शेलेन्द्र डागा, रतलाम विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री विष्णु त्रिपाठी, कलेक्टर राजेंद्र शर्मा, नगर निगम रतलाम अध्यक्ष दिनेश पोरवाल आदि ने किया

अतिथियों का स्वागत डॉ सविता जैन, भारत शर्मा (पप्पू टंच) महावीर गांधी , दीपक गोधा , पुखराज जैन, राजेश घोटीकर, अशोक गंगवाल , मनोज इंजीनीयर आदि ने किया .

प्रवक्ता अशोक गंगवाल ने बताया की दिनांक २ नवम्बर स प्रारंभ हुए संयमोत्सव में चोबिसी रिद्धि विधान मंडल का पूजन किया गया जिसमे ५० जोड़ों द्वारा लाभ लिया गया .संध्या को आचार्य श्री सन्मति सागर जी की पचास दीपकों से आरती भी उतारी गई

आचार्य एवं मुनि संघ की पिच्छिका परिवर्तन का लाभ समाज बंधुओं ने लिया






















बुधवार, 2 नवंबर 2011

maneesh tiwari & party ne ki bhajan sandhya ki halchal




sheetal yogi bhakt mandal dwara kiya gaya aayojan

मंगलवार, 1 नवंबर 2011

बैसाखियाँ एवं श्रवणयंत्र वितरण होगा

बैसाखियाँ एवं श्रवणयंत्र वितरण होगा

पट्टाचार्य श्री योगीन्द्र सागर जी म सा की प्रेरणा से विकसित हो रहे शीतल तीर्थ को अब सामाजिक उत्थान केंद्र के स्वरुप में भी देखा जा सकेगा उक्त बात शीतल तीर्थ की अधिष्ठात्री डॉ सविता जैन ने कहते हुए बताया कि वृद्ध एवं अशक्त संत जनों के लिए वृद्ध संताश्रम, गौशाला, असहाय एवं निराश्रित जनों के लिए निशुल्क भोजन शाला "राम रसोड़ा" का निर्माण के साथ नशामुक्त संस्कारित जीवन कि प्रेरणा के केंद्र के रूप में शीतल तीर्थ कि ख्याति सर्व विदित है.
सेवा के तारतम्य में अब दिनांक ६ नवम्बर को शीतल तीर्थ पर कानों से कम सुनने वाले तथा अपने कमजोर पैरों के कारण चलने फिरने में कठिनाई महसूस करने वाले अशक्त जनों के कल्याणार्थ एक शिविर का आयोजन किया जा रहा जिसमे आवश्यक सुविधा हेतु बैसाखियाँ तथा श्रवण यंत्र प्रदान किए जायेंगे
शीतल तीर्थ प्रवक्ता राजेश घोटीकर ने बताया कि इच्छुक व्यक्ति अपना इस हेतु अनिवार्य रूप से पंजीयन करावें . पंजीयन की आवश्यक कार्यवाही में एक पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ, बी पि एल राशन कार्ड की फोटो कॉपी तथा विकलांगता प्रमाण पत्र के साथ उपस्थित होकर अपना पंजीयन करा सकेंगे
श्रवण यत्र के लिए इच्छुक व्यक्ति डॉ प्रणव अरुण पुरोहित लोकेन्द्र टाकिज के पास तथा बैसाखी के लिए डॉ चन्द्र शेखर राय ११५ पुष्पक मार्केट डालू मोदी चोराहा पर अपना पंजीयन एवं आवेदन फॉर्म प्राप्त कर सकेंगे
पंजीयन स्थल से जारी किए गए फॉर्म लाने पर ही उपरोक्त सुविधाए प्रदान की जा सकेंगी
शीतल तीर्थ तक आने जाने के लिए बस की व्यवस्था तोपखाना, भरावा कुई, सैलाना बस स्टैंड रतलाम तथा कस्तूरबा नगर से की गई है लाभ उठावें .
शिविर का लाभ उठाने की अपील अशोक गंगवाल , विष्णु त्रिपाठी , बजरंग पुरोहित एवं योगी भक्त मंडल के सदस्यों ने की है

शुक्रवार, 14 अक्टूबर 2011

दि. २नव. २०११से ६नव. २०११ तक स्वर्ण दीक्षा जयंती समारोह आयोजित

प पू पट्टाचार्य १०८ श्री योगीन्द्रसागरज़ी महाराज सा. ससंघ के सानिध्य में दि.२ नव.२०११ से दि. ६ नव. २०११ तक परमपूज्य तपस्वी सम्राट महोपवासी, १०८ श्री सनमतिसागरज़ी महाराज का स्वर्ण दीक्षा जयंती समारोह मनाया जायेगा।
जिसमे दि.२-11-११ बुधवार को ध्वजारोहण एवं दि . ३-११-२०११ से ५-११-२०११ तक चौबीसी विधान किया जायेगा।
दि.६-११-११ को "बागीश्वरी पुरुस्कार '' देश के ख्यातितम विद्वान एवं सुप्रसिद्ध गणितज्ञ डॉ.अनुपमजी जैन को दिया जायेगा।
उक्त पुरुस्कार के साथ ही आचार्य संमतिसागर जी के ५०वे दीक्षा दिवस कि स्मृति में ५० विद्वानों को सम्मानित किया जायेगा।
५० विकलांगो को उपयुक्त उपकरण भी प्रदान किये जायेगे। उक्त जानकारी शीतलतीर्थ निर्देशिका डॉ . सविता जैन ने दि है।

जीवन में आचरण को सुधारना आवश्यक

शरदोत्सव पर आयोजित धर्मसभा में परमपूज्य आचार्य संमतिसागर के पट्टाचार्य और वरिष्ठ शिष्य आचार्य योगीन्द्रसागरजी ने कहा कि जो व्यक्ति जानने व् समझने के बाद भी आचरण में नहीं लाता उस जैसा नासमझ संसार में दूसरा नही हो सकता है.उन्होंने व्यक्तित्व विश्लेषण करते हुआ कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम राम का उदाहरण देते हुऐ बताया कि श्रीराम ने भी अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सम्पूर्ण प्रयास किये तभी वे सफल हुऐ। मनुष्य अपने किये कर्मो को स्वयं ही भोगता है । उन कर्मो को नाश करने के लिए भगवन की भक्ति करना आवश्यक है। भक्ति से ही कर्मो को नष्ट किया जा सकता है। सभा के प्रारंभ में गुरुदेव के श्रीचरणों में श्री ओमप्रकाशजी जैन भरतपुर [राज।] दीपक गोधा, महावीर गाँधी,राजेशमेहता[खान्दूकालोनी ], अशोक गंगवाल राजेश घोटीकर, जगदीश व्यास ,दीपक बरैया आदि ने श्रीफल भेट किया । प्रवचन पश्चात प्रभावना वितरण कु राधा धाणवी धामनोद परिवार द्वारा किया गया। मुनि यातिन्द्रनाथ्जी ने "जैसी करनी वैसी भरणी" भजन की प्रस्तुति से भाव विभोर कर दिया। रात्रिकालीन आयोजनों में श्री १००८ श्री चंद्रप्रभु भगवन की पूजा आराधना की परम पूज्य आचार्य श्री शीत्तलकीर्तिजी गुरु महाराज की स्तुति एवं भजन संध्या के कार्यक्रम सम्पन्न हुऐ.तत्पश्चात उपस्थित जनसमूह को दूध वितरण किया गया ।समस्त कार्यक्रम डॉ। सविता जैन के निर्देशन में सम्पन्न हुऐ।यह जानकारी शीतल तीर्थ प्रवक्ता श्री अशोक गंगवाल एवमश्री राजेश घोटीकर ने प्रदान की.

गुरुवार, 13 अक्टूबर 2011

रविवार, 9 अक्टूबर 2011

शीतल तीर्थ

शरद पूर्णिमा पर कार्यक्रम मंगलवार दिनांक ११ अक्टूबर को






शरद पूर्णिमा को चन्द्रमा अमृत वर्षा करता है। इस दिन दूध एवं खीर का सेवन किया जाता है, खास तौर पर चन्द्रमा कि रोशनी में रखने के बाद। शीतलतीर्थ पर इस दिन आचार्य गुरुवार श्री १०८ श्री योगीन्द्र सागर जी म सा के सान्निध्य में शरद पूर्णिमा का त्यौहार जाएगा यह जानकारी डॉ सविता जैन ने दी है ।






विजयादशमी पर मानभद्र क्षेत्रपाल मंदिर पर कलशारोहन ,ध्वजा दंड स्थापना के पश्चात यह समारोह सम्पूर्ण विधि विधान तथा धर्मिक विधि से मनाया जाएगा ।

सोमवार, 3 अक्टूबर 2011

invitation





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आगामी कार्यक्रम

ज्ञान में सुख है , अज्ञान में दुःख. ज्ञान मिले तो कैसे ? देव बोलते नहीं. शास्त्र ताले में हैं. ज्ञान न मिले तो काम कैसे चलावें. इसीलिए गुरु को बोलना पड़ता है. उक्त बात अंकलीकर परंपरा के चतुर्थ पट्टाधीश १०८ श्री योगीन्द्र सागर जी महाराज सा ने उपदेश देते हुए कही. नवरात्री के अवसर पर नौ दिवसीय आयोजन यहाँ शीतल तीर्थ पर रखे गए हैं. एकम से पंचमी तक रामचरित मानस का पाठ यहाँ किया जा रहा है. परायण एवं रामायण ज्ञान यज्ञ पं डॉ महेशानंद शास्त्री पंचेद द्वारा संपन्न कराया गया .

आचार्य श्री ने बताया की तुलसीदास जी ने भगवान् ऋषभदेव तथा भगवान् पार्श्वनाथ के बारे में भी लिखा है. उनके समकालीन रहे पं बनारसीदास जो एक जैन संत रहे है को अपनी कृतियाँ भेंट की थी. संत इसीतरह साम्प्रदायिक सद्भावना लिए रहते हैं. एसे ही उज्वल भी होते हैं. संत तुलसीदास जी की रामचरित मानस से प्रेरणा पाकर पं बनारसीदास जी ने भी अध्यात्म रामायण की रचना की थी. इस बारे में डॉ चेतन प्रभा जी ने भी अपने शोधग्रन्थ में लिखा है.

आचार्य श्री ने उपस्थित श्रद्धालुओं से बालक के समान सरल मन रखने की बात कहते हुए रामायण की तरह जीवन बनाने की बात कही. उक्त दोनों प्रकार से जीवन सफल हो सकता है.

सभा के प्रारंभ में आर्यिका सिद्धांत सेना माताजी ने बहन की प्रस्तुति दी. कार्यक्रम का संचालन करते हुए शीतलतीर्थ अधिष्ठात्री डॉ सविता जैन ने बताया की नवरात्री के अष्टमी नवमी तथा दशमी याने दशहरे के पर्व पर क्षेत्रपाल विधान, कलशारोहण, ध्वजदण्ड स्थापन तथा महाप्रसादी का आयोजन आचार्यश्री तथा चतुर्विद संघ के सान्निध्य में संपन्न होगा. नवमी की रात को इन्दोर की भजन मंडली द्वारा क्षेत्रपाल जी यानी मानभद्र भैरव की वंदना का कार्यक्रम किया जाएगा.

आचार्य श्री के चरणों में श्रीफल समर्पित कर विनयांजलि सर्व श्री डॉ नेमीचंद जी जैन, महावीर गाँधी, दिलीप जी सोनी, महेंद्र जैन गुडवाला, निर्मल कुमार जी जैन आदि ने प्रस्तुत की.

प्रभावना वितरण का लाभ रामलाल जी पाटीदार तथा राकेश जी जैन द्वारा लिया गया.

उपरोक्त जानकारी प्रदान करते हुए शीतल तीर्थ प्रवक्ता अशोक गंगवाल ने बताया की आगामी नवम्बर माह में आचार्य श्री १०८ सन्मति सागरजी म सा की हीरक जयंती वर्ष तथा पचासवे दीक्षा जयन्ति के उपलक्ष में स्वर्ण जयंती दीक्षा महोत्सव का आयोजन आगामी नवम्बर माह में आयोजित किया जाएगा.


अशोक गंगवाल
प्रवक्ता शीतल तीर्थ
बनवाडा रोड रतलाम.

शनिवार, 1 अक्टूबर 2011

आचार्य १०८ श्री सन्मतिसागरजी म सा का पचासवा संयमोत्सव ६ नवम्बर २०११ को

प पू मुनिकुंजर आचार्य १०८ श्री आदिसागरजी म सा (अंकलीकर ) परंपरा के तृतीय पट्टाधीश प पू महातपो मार्तंड आचार्य १०८ श्री सन्मतिसागरजी म सा का पचासवा संयमोत्सव ६ नवम्बर २०११ रविवार को दिगंबर जैन शीतल तीर्थ पर चातुर्मास हेतु विराजित उन्ही के पट्टाधीश प पू प्रज्ञा पुरुषोत्तम सिद्धांत रत्नाकार १०८ आचार्य श्री योगीन्द्रसागर जी म सा की प्रेरणा से अनेकानेक आयोजन सहित मनाया जाएगा.

कार्तिक शुक्ल द्वादशी को २४ वर्ष की आयु में आचार्य सन्मतिसागर जी म सा की दीक्षा आचार्य विमलसागर जी के सानिध्य में १९६१ में संपन्न हुई थी आचार्य श्री का यह दीक्षा महोत्सव स्वर्ण जयंती के स्वरुप में पट्टाधीश आचार्य श्री योगीन्द्र सागर जी म सा एवं उनके चतुर्विद संघ सान्निध्य में आयोजित किया जाएगा. उक्त जानकारी दिगंबर जैन शीतलतीर्थ अधिष्ठात्री डॉ सविता जैन ने देते हुए बताया कि इस स्वर्ण जयंती संयमोत्सव में पचास जोड़ो द्वारा ऋषि मंडल विधान, आचार्य श्री सन्मतिसागर जी म सा के चित्र की पचास दीपों द्वारा आरती तथा समाज के पचास श्रावक श्रेष्ठी महानुभावों का सामान किया जाएगा.

दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र शीतलतीर्थ प्रवक्ता अशोक गंगवाल ने बताया की उक्त समस्त कार्यक्रम मध्यप्रदेश रतलाम के बाँसवाड़ा रोड पर निर्माणाधीन शीतल तीर्थ पर धर्मिक विधि विधान पूर्वक आयोजित किए जाएंगे.

अशोक गंगवाल
प्रवक्ता शीतलतीर्थ

गुरुवार, 9 जून 2011

महाराज सा उज्जैन विराजित हैं.

आचार्य १०८ श्री योगीन्द्र सागर जी महाराज सा इन दिनों उज्जैन विराजित हैं । १३ व् १४ जून को मुनि दीक्षा कार्यक्रम यहाँ आयोजित किए गए हैं ।

बुधवार, 9 मार्च 2011

इंदौर से समाचार




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शुक्रवार, 25 फ़रवरी 2011

दीक्षा जयंती समारोह २५ को.....

आचार्य योगीन्द्र सागर जी महाराज सा का ३३ वां दीक्षा जयंती महोत्सव इंदौर के नंदा नगर में संपन्न हुआ । सुबह ९ बजे जैन मंदिर में वेदी प्रतिष्ठा महोत्सव आयोजित हुआ । नगर के कई समाज जन इन कार्यकर्मो में उपस्थित हुए ।

सोमवार, 10 जनवरी 2011

पट्टाभिषेक समारोह इन्दोर में

दिगंबर आचार्य प पु तपस्वी सम्राट १०८ श्री सन्मतिसागरजी म सा दिगंबर जैन बीस पंथी आम्नाय के प्रमुख संत होकर पट्टाधीश थे। उनकी समाधि पश्चात पट्टाधीश किसे घोषित किया जाएगा समाजजनों में इस बात की चर्चा रही। दिगंबर समाज की एक विशाल सभा राजस्थान के सागवाडा में विगत ९ जनवरी को इसी बात को लेकर संपन्न हुई। भारत भर के विभिन्न शहरों, कस्बों तथा गावों के समाजजनों की लगभग एक सौ से अधिक संस्थाओं के प्रमुख एवं प्रतिनिधियों ने इस सभा में भाग लिया। प पु बालाचार्य १०८ श्री योगीन्द्रसागर महाराज सा को पट्टाधीश बनाए जाने की अनुमोदना की गई और सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर निर्णय किया गया की बालाचार्य जी का पट्टारोहण समारोह मध्यप्रदेश के इन्दोर शहर में किया जाए।
पट्टारोहण समारोह हेतु एक समिति का गठन किया गया है जिसके अध्यक्ष अनुपम जैन एवं महामंत्री श्री दिनेश जी कोडनिया होंगे। आगामी १६ जनवरी को इन्दोर में बालाचार्य जी का पट्टाभिषेक किया जाएगा । उक्त जानकारी शीतलधाम संयोजिका डॉ सविता जैन ने देते हुए बताया कि बालाचार्य जी द्वारा ससंघ विहार किया गया होने से उन्हें रतलाम स्थित कस्तूरबा नगर दिगंबर जैन मंदिर में सभा से लौट कर स्वीकृति हेतु विनयांजलि प्रस्तुत की गई है।

मंगलवार, 4 जनवरी 2011

गंगवाल चूड़ीवाला परिवार को मातृशोक

रतलाम निवासी अशोक जी गंगवाल एवं कमलेश जी गंगवाल की माताजी अंकित, अर्पण एवं अमन गंगवाल की दादी स्व श्री सागरमल जी चूड़ीवाला की धर्मपत्नी श्रीमती बदामबाई का निधन ८४ वर्ष की आयु में ३ जनवरी को शाम ७:३० पर हो गया है । जिनका अंतिम संस्कार दिनांक ४ जनवरी को प्रातः ११:०० बजे नगर के त्रिवेणी मुक्तिधाम पर किया गया ।
तीसरे का उठावना एवं शोक निवारण का कार्यक्रम साठघर के नोहरे की गोठ, गौशाला रोड पर रखा गया है । ५ जनवरी २०११ को प्रातः 10:३० बजे उठावना तथा दोपहर १:०० बजे शोक निवारण का कार्यक्रम किया जाएगा।