प पू मुनिकुंजर आचार्य १०८ श्री आदिसागरजी म सा (अंकलीकर) परंपरा के तृतीय पट्टाधीश प पू महातपोमार्तंड आचार्य १०८ श्री सन्मतिसागरजी म सा के पट्टाधीश प पू प्रज्ञा पुरुषोत्तम सिद्धांत रत्नाकार १०८ आचार्य श्री योगीन्द्रसागर जी म सा की प्रेरणा से दिगंबर जैनाचार्य शीतलकीर्ति महाराज सा के नाम को समर्पित कर "शीतलतीर्थ" रतलाम के बाँसवाड़ा रोड पर निर्माण गया है । दिगंबर जैन शीतलतीर्थ अधिष्ठात्री डॉ सविता जैन ०९४२५३५५७४१
प्रज्ञा पुरुषोत्तम श्री १०८ बालाचार्य योगीन्द्रसागरजी महाराज सा
गुरुवार, 8 दिसंबर 2011
मन को मारो मत मन को मोड़ो
दि।। ४-११-११ को चतुर्थ पटटाचार्य श्री योगिन्द्रसगार्जी महाराज ने शीतलतीथॅ पर आयोजित धर्मसभा में कहा कि मानव को अपने मन को मारने कि जगह मन को मोड़ने का प्रयास करना चाहिए क्योकि हम जिस चीज से दूर भागना चाहते है वह चीज उतनी ही हमारे मन में अपना घर बनाती जाती है। हमें मन को दुसरे काम में लगाकर मन की दिशा को बदलने का प्रयास करना चाहिए। यदिहम परछाई को पकड़ने की कोशिश करतेहै तो वह आगे चलती जाती है, किन्तू यदि हम पीठ कर लेते है तो वही परछाई हमारे पीछे दौड़ने लगती है। वेसे ही मन कि आदत है , आप जितना इसके अनुसार चलेगे वह भटकाएगा यदि किसी और काम में लगा दिया तो यह उस काम लग जायेगा । इसलिए इसे किसी सकारात्मक काम मे लगा देना चाहिए । यदि मन ही रहेगा तो भगवान का भजन कैसे करेंगे । मन को सुमन बनाये कुमां नहीं। कार्यक्रम के प्रारंभ में पुखराज सेठी जावरा ने मंगलाचरण कर गुरु वंदना की। मनोज जैन ने स्वागत भाषण दिया । कार्यक्रम का सशक्त सञ्चालन डॉ सविता जैन ने किया।
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