ज्ञान में सुख है , अज्ञान में दुःख. ज्ञान मिले तो कैसे ? देव बोलते नहीं. शास्त्र ताले में हैं. ज्ञान न मिले तो काम कैसे चलावें. इसीलिए गुरु को बोलना पड़ता है. उक्त बात अंकलीकर परंपरा के चतुर्थ पट्टाधीश १०८ श्री योगीन्द्र सागर जी महाराज सा ने उपदेश देते हुए कही. नवरात्री के अवसर पर नौ दिवसीय आयोजन यहाँ शीतल तीर्थ पर रखे गए हैं. एकम से पंचमी तक रामचरित मानस का पाठ यहाँ किया जा रहा है. परायण एवं रामायण ज्ञान यज्ञ पं डॉ महेशानंद शास्त्री पंचेद द्वारा संपन्न कराया गया .
आचार्य श्री ने बताया की तुलसीदास जी ने भगवान् ऋषभदेव तथा भगवान् पार्श्वनाथ के बारे में भी लिखा है. उनके समकालीन रहे पं बनारसीदास जो एक जैन संत रहे है को अपनी कृतियाँ भेंट की थी. संत इसीतरह साम्प्रदायिक सद्भावना लिए रहते हैं. एसे ही उज्वल भी होते हैं. संत तुलसीदास जी की रामचरित मानस से प्रेरणा पाकर पं बनारसीदास जी ने भी अध्यात्म रामायण की रचना की थी. इस बारे में डॉ चेतन प्रभा जी ने भी अपने शोधग्रन्थ में लिखा है.
आचार्य श्री ने उपस्थित श्रद्धालुओं से बालक के समान सरल मन रखने की बात कहते हुए रामायण की तरह जीवन बनाने की बात कही. उक्त दोनों प्रकार से जीवन सफल हो सकता है.
सभा के प्रारंभ में आर्यिका सिद्धांत सेना माताजी ने बहन की प्रस्तुति दी. कार्यक्रम का संचालन करते हुए शीतलतीर्थ अधिष्ठात्री डॉ सविता जैन ने बताया की नवरात्री के अष्टमी नवमी तथा दशमी याने दशहरे के पर्व पर क्षेत्रपाल विधान, कलशारोहण, ध्वजदण्ड स्थापन तथा महाप्रसादी का आयोजन आचार्यश्री तथा चतुर्विद संघ के सान्निध्य में संपन्न होगा. नवमी की रात को इन्दोर की भजन मंडली द्वारा क्षेत्रपाल जी यानी मानभद्र भैरव की वंदना का कार्यक्रम किया जाएगा.
आचार्य श्री के चरणों में श्रीफल समर्पित कर विनयांजलि सर्व श्री डॉ नेमीचंद जी जैन, महावीर गाँधी, दिलीप जी सोनी, महेंद्र जैन गुडवाला, निर्मल कुमार जी जैन आदि ने प्रस्तुत की.
प्रभावना वितरण का लाभ रामलाल जी पाटीदार तथा राकेश जी जैन द्वारा लिया गया.
उपरोक्त जानकारी प्रदान करते हुए शीतल तीर्थ प्रवक्ता अशोक गंगवाल ने बताया की आगामी नवम्बर माह में आचार्य श्री १०८ सन्मति सागरजी म सा की हीरक जयंती वर्ष तथा पचासवे दीक्षा जयन्ति के उपलक्ष में स्वर्ण जयंती दीक्षा महोत्सव का आयोजन आगामी नवम्बर माह में आयोजित किया जाएगा.
अशोक गंगवाल
प्रवक्ता शीतल तीर्थ
बनवाडा रोड रतलाम.
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