प्रज्ञा पुरुषोत्तम श्री १०८ बालाचार्य योगीन्द्रसागरजी महाराज सा

प्रज्ञा  पुरुषोत्तम श्री १०८ बालाचार्य योगीन्द्रसागरजी महाराज सा

शुक्रवार, 27 अगस्त 2010

केदारेश्वर कार्यक्रम


केदारेश्वर, सैलाना के समीप एक प्राकृतिक द्रश्यों से परिपूर्ण धार्मिक क्षेत्र है ।
भगवान् भोलेनाथ के इस स्थान पर मनोहारी झरना बहता है । बारिश के दिनों में तो यहाँ कि सुन्दरता का जबरदस्त परचम रहता है। श्रावण के अंतिम सोमवार को बालाचार्य श्री ने बर्ड्स वाचिंग ग्रुप द्वारा आयोजित प्रवचन कार्यक्रम में भाग लिया ।
कार्यक्रम उपरान्त यहाँ गार्डन चेयर्स भी लगवाई गई । एस डी एम् श्री बी एस कुशवाहा , एस डी ओ (पि डब्ल्यू डी ) श्री अरुण कुमार जैन , भा ज पा के पूर्व जिला महामंत्री बजरंग पुरोहित , श्री पद्माकर पागे, डॉ सविता जैन , अशोक गंगवाल , दीपक बरैया आदि बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे । कार्यक्रम का संचालन ग्रुप के संस्थापक राजेश घोटीकर ने किया ।

गुरुवार, 26 अगस्त 2010

मदर टेरेसा का १०० वां जन्मदिन मनाया







संत जोसेफ कॉन्वेंट स्कुल द्वारा मदर टेरेसा के जन्म दिवस के उपलक्ष में कार्यक्रम आयोजित किया गया । बालाचार्य श्री योगीन्द्र सागर जी को इस कार्यक्रम में विशेष तौर पर आमंत्रित किया गया ।
महंत गोपालदास जी महाराज , ग्रंथि जी , ब्रम्हचारी बहन एवं फर्स्ट चर्च के खिमला जी ने यहाँ सेवा कार्यों के प्रति मदर टेरेसा को अपनी शब्दांजलि दी।
बालाचार्य जी ने कहा कि सभी धर्म मूलतः एक सी बातें ही कहते हैं । मगर कुछ ही लोग होते है जो साम्प्रदायिकता से परे रहकर अपनी सेवाए दिया करते है । घमंड त्याग कर सेवा करना आज जरूरी हो गया है ।

सोमवार, 23 अगस्त 2010

आज की आवश्यकता है सम्प्रदाय निरपेक्षता



भगवान् शिव मोक्ष और कल्याण मार्ग है। जिसके मन के भाव और क्रिया एकरूप होती हैं वे शिवयात्रा के भागी होते हैं। जैसे संतों की मृत्यु शवयात्रा नहीं होती, वैसे ही संयमी की भी शिवयात्रा ही होती है । केदारेश्वर पावन शिवधाम है, यहाँ पहुँचने वाले का निश्चित ही कल्याण होता है उसे सदगति प्राप्त होती है । उक्त बात बालाचार्य श्री योगीन्द्र सागर जी ने सैलाना-शिवगढ़ रोड पर स्थित केदारेश्वर तीर्थ पर बर्ड्स वाचिंग ग्रुप द्वारा श्रावण के अंतिम सोमवार को आयोजित कार्यक्रम में प्रवचन के दौरान कही। उन्होंने कथानक के माध्यम से बताया कि कैसे पूर्व कर्म और वर्तमान कर्म घटते बढ़ते रहते हैं और इसका लोक परलोक में क्या प्रभाव पड़ता है। दुनिया के एश्वर्य से भ्रमित न होकर सत्य कर्म करना हितकर है,यही कर्म शिव प्राप्ति में सहायक हैं। आज से पचास बरस पहले धर्म निरपेक्षता की आवश्यकता थी, मगर आज के परिवेश में साम्प्रदाय निरपेक्षता की आवश्यकता है। मानवता के प्रयत्नों में एक झण्डे के नीचे आना जरूरी हो गया है।
प्रारंभ में विनयांजलि बर्ड्स वाचिंग ग्रुप के संस्थापक श्री राजेश घोटीकर, एस डी एम् श्री बी एस कुशवाहा, एस डी ओ पि डब्ल्यू डी श्री अरुण कुमार जैन ने पुष्प भेंट कर की।
इस अवसर पर अशोक गंगवाल, बजरंग पुरोहित, पद्माकर पागे, रोटरी सेन्ट्रल के विनोद मूणत, अशोक पिपाड़ा, सुशील गोरेचा, पर्यावरण जाग्रति मंच के इश्वर पाटीदार और राधेश्याम सोनी, योगी सेवा समिति और शीतल तीर्थ व्यवस्थापिका डॉ सविता जैन, दीपक बरैया तथा हजारो की संख्या में धर्मालुजनो द्वारा भगवान् महादेव् का दर्शन एवं प्रवचनों का पुण्य लाभ लिया गया ।

रविवार, 15 अगस्त 2010

जीवन में स्वतंत्र बने , स्वच्छंद नहीं

जीवन में स्वतंत्र बने , स्वच्छंद नहीं। स्वतन्त्रता कल्याण का मार्ग दिखाती है, जबकि स्वच्छंदता पतन के मार्ग पर ले जाती है। स्वतन्त्रता दिवस के अवसर पर बालाचार्य श्री योगीन्द्र सागर ने उपरोक्त बात शीतल तीर्थ पर चातुर्मास के दौरान प्रति रविवार आयोजित प्रवचन माला में कही। उन्होंने इंसान को तोते से सीख लेने की बात कही , उन्होंने कहा तोता पिंजरे में रहता है और वहां सभी सुविधाए होने के बावजूद दरवाजा खुला मिलते ही उड़ जाता है। ठीक वैसे ही इंसान को भी रहना चाहिए, उसे किसी भी गुलामी या परतंत्रता से छुटकारा पाने को उद्यत रहना चाहिए। आज का इंसान एसा बन गया है जैसे कबूतर बार बार अपने दडबे में आ घुसता है, जबकि उसे खुला छोड़ा जाता है। गुरु ही इन बातों से सावधान या सचेत कर सकता है संत या महात्मा ही है जो उस्शार का मार्ग प्रशस्त लार सकते हैं । आज भारत अपनी स्वतंत्रता दिवस की वर्षगांठ मना रहा है मगर इंसान या मानव की असल स्वतंत्रता संन्यास में निहित है । संन्यास लिए जाने पर ही सम्यक ज्ञान, क्रिया और श्रद्धा का तिरंगा लहराएगा । गुरु अपने अनुभव के जरिये ज्ञान का प्रकाश फैलाता है इसलिए उसका आभार मानते हुए ऋणी बने रहना चाहिए । उन्होंने स्वलिखित गीत के माध्यम से " मुझे तुमने गुरुवर बहुत कुछ दिया है ....." की संगीतमय वन्दना आचार्य गुरुवर शीतल कीर्ति जी महाराज को विनयांजलि के रूप में अर्पित की और उनके निर्वाण तिथि का उल्लेख किया । आचार्य गुरुवर शीतल कीर्ति जी महाराज की निर्वाण तिथि के साथ साथ २३ वे तीर्थंकर भगवान् पार्श्वनाथ का निर्वाण उत्सव महाकवि संत श्री तुलसीदास जी के निर्वाण तिथि को मनाये जाने की बात कही ।
रान देवरा बनाए गए बेनर का विमोचन इस अवसर पर किया गया।
संचालन करते हुए डॉ सविता जैन ने विदेशी मानसिकता के खतरों से आगाह कर स्वतंत्रता दिवस के परिप्रेक्ष में आयातित सामान और भाषा प्रभावित न होने को कहा ।
मुनि श्री यशोधर सागर जी महाराज ने कहा की ऋषभदेव जी ने आत्मा की स्वतन्त्रता का पाठ स्वर्ग की अप्सरा की मृत्यु से प्रभावित होकर वैराग्य लेने के बाद बताई है।
रामदेवरा तीर्थ जाने वाले यात्रियों के लिए सुचना हेतु /यात्रियों को निशुल्क स्वल्पाहार की व्यवस्था १६ जुलाई से दिए जाने सम्बन्धी बनवाए गए बेनर का विमोचन ईश्वर जी , राजारामजी , बजाराम जी , देवीलाल जी , नाथूलाल जी , कृष्ण सिंह जी आदि ने किया ।
गायत्री मन्त्र का पाठ कु................ त्रिपाठी ने किया । प्रारम्भ में "गुरुदेव कृपा करके............." भजन की प्रस्तुति चातुर्मास समिति के अध्यक्ष श्री पुखराज जी सेठी ने दी । प्रभावना पाटीदार बंधू एवं बालीजी पांड्या के सौजन्य से वितरित की गई ।

शनिवार, 14 अगस्त 2010

आचरण की आवश्यकता








जिस भारत को संस्कृति के रूप में याद किया जाता रहा है । आज ये संस्कृति विकृति की राह पर है, इसके लिए पाश्चात्य संस्कृति को दोष दिया जाता है जो उचित नहीं है । आज हम संस्कृति , सभ्यता की बातें करते हैं किन्तु पालन नहीं । भारतीय संस्कृति में सुबह सवेरे माँ पिता के चरण छूने की संस्कृति रही है । साथ बैठकर भोजन करना हमारी सभ्यता का हिस्सा है । हिंदी भाषा हमारी मूल संस्कृति और संस्कार है, लेकिन हमने अंग्रेजी भाषा का चलन अपनाया है , भोजन व्यवस्था बफेट को अपनाया है । हम इन सभी बातों के लिए पाश्चात्य संस्कृति को दोष देते हैं जो उचित नहीं है। माँ का शब्द प्रेम और पीड़ा से भरा था उसे भी अपनाना छोड़ दिया है । इन सबकी वजह हमारे अपने घरो से जुडी है । संस्कृति का पाठ हमारे घर से प्रारंभ होता था जो अब नहीं हो रहा है । माँ से मम्मी , ममा होते हुए अब यह यार मम्मी तक आ पहुंचा है । बच्चे की प्रथम गुरु माँ है अतः बच्चे को संस्कार घर से मिलने चाहिए । उक्त बात बालाचार्य योगीन्द्र सागरजी महाराज ने स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष में सरस्वती शिशु मंदिर में आयोजित कार्यक्रम में कही । उन्होंने शिक्षालय को मानव से महामानव बनाए जाने का स्थान निरुपित कर कहा की । छत्रपति शिवाजी को संस्कार माता जिजा से प्राप्त हुए थे । शिवाजी , राधाकृष्णन,महावीर जैसे महापुरुष संस्कृति सुधरने से ही संभव है । भारत में रहने वाला हर व्यक्ति हिन्दू है । हिन्दू का अर्थ है जो हिंसा से दूर रहे । अहिंसा वीरता सीखाती है । हिन्दू व्यवस्था का पालन करें । भारतीय संस्कृति को आगे बढाए । इस अवसर पर पंडित श्याम जी कृष्ण वर्मा के चित्र को स्कुल प्रांगन में लगाने हेतु अनावरण भी किया गया ।
"जयकारा सब बोलो मेरे योगी गुरुवर का " गीत से कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ । यह गीत रिनी जैन ने प्रस्तुत किया । तबले पर संगत राहुल तिवारी ने की । सरस्वती प्रार्थना श्रीमती चितले दीदी ने करवाई । कपिल जी व्यास ने अतिथि परिचय दिया । स्वागत उद्बोधन प्राचार्य बालाराम जी गुप्ता ने दिया। अणुव्रत ज्योति जगाये गीत शाला के भैया बहनों ने प्रस्तुत किया । श्रीफल की भेंट प्रकाश जी मूणत , दीदी इंदिरा व्यास , नीता दीदी , दत्तात्रेय जी चाव्हाण, वीरेंद्र सकलेचा , गोपाल जी काकानी , प्रतिमा सोनटक्के दीदी , गोविन्द जी अग्रवाल, कविता दीदी , देवड़ा जी, कपिल वैष्णव , दिव्या कोठारी , मंगला बाई आदि ने प्रस्तुत कर विनयांजलि दी । इस अवसर पर बड़ी संख्या में छात्र वृन्द उपस्थित थे ।

शुक्रवार, 13 अगस्त 2010

१६ अगस्त को पार्श्वनाथ जयंती मनेगी

शीतल तीर्थ धाम पर प्रभु पार्श्वनाथ भगवान् की निर्वाण तिथि का कार्यक्रम आयोजित किया गया है । २३ वे तीर्थंकर प्रभु पार्श्वनाथ जी को इस अवसर पर २३ किलो का निर्वाण लाडू चढ़ाया जावेगा । बालाचार्य श्री योगीन्द्र सागर जी की निश्रा में यहाँ इस अवसर पर धार्मिक आयोजन धूमधाम से मनाया जावेगा ।
इसी दिन रामचरित मानस के रचयिता श्री तुलसीदास जी की जयंती है । श्री तुलसी दस जी के जीवन वृत्त पर आधारित परिचर्चा का आयोजन किया जाएगा उक्त जानकारी प्रचार प्रमुख अशोक गंगवाल ने दी ।

सरस्वती शिशु मंदिर में स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम

बालाचार्य योगीन्द्र सागर जी महाराज सा को स्वतन्त्रता दिवस के उपलक्ष में दिनांक १४ अगस्त को आमंत्रित किया गया है । सरस्वती शिशु मंदिर काटजू नगर में स्वतंत्रता दिवस के परिपेक्ष में आयोजित कार्यक्रम ख़ास तौर पर विद्यार्थियों के लिए रखा गया है ।

सोमवार, 9 अगस्त 2010

मन की शुद्धता परमेश्वर प्राप्ति में सहायक है

ऋषि मुनियों ने कहा है की शरीर मलीन है , इसे परमात्मा के स्मरण के साथ पवित्र एवं सदकार्यो में लगा देने से यह श्रेष्ठ कहलाता है इसलिए प्रार्थना नाम स्मरण कर नश्वर शरीर का ठीक प्रकार से उपयोग करना चाहिए ।उक्त बात बालाचार्य श्री १०८ योगीन्द्र सागर जी महाराज ने यहाँ शीतल तीर्थ पर आयोजित धर्म सभा को सम्बोधित कर कही उन्होंने कहा कि शरीर को सद्कार्यो में उपयोग लोगे तभी अंत में तुम्हारी शव यात्रा शिव यात्रा होगी । आज मनुष्य शरीर का गुलाम बन गया है परमात्मा एवं संत सेवा कर इसे श्रेष्ठ बनावे । अहिंसा की दृष्टी रखकर चलना श्रेष्ठ है । आपकी दृष्टी में क्रूरता प्रकट नहीं होनी चाहिए । भावना दिखावा रहित अच्छी होनी चाहिए । यह सब तभी होगा जबकि मन पवित्र होगा , निर्मल होगा । मन की पवित्रता और शुद्धताहोगी तभी परमेश्वर वहां निवास करेंगे। मन को मंदिर बनाओ , मन को मसान मत बनाओ । अंतर्मन की भावना को बदलो , दृष्टी को बदलो , जब ठीक जगह लगन लगेगी तभी मन शुद्ध हो सकेगा ।
एक व्यापारी के दिवालिया होने से लगाकर पुनः संपन्न हो जाने के मध्य घटित उसके अनुभव और ज्ञान का कथानक सुनाते हुए यशोधर सागरजी ने कहा कि धर्म कि शरण संसारी व्यक्ति के लिए सर्वोत्तम है । गुरु कि शरण भी संसारी को पतित होने से बचाने में सहायक है ।
शीतल धाम पर निर्मित होने जा रहे ५० फुट ऊँचे कैलाश पर्वत कि जानकारी संयोजिका डॉ सविता जैन ने संचालन करते हुए बताई । उनका जन्म दिन भी उपस्थित श्रद्धालुओं ने मनाया । जय गुरु योगी भक्त मंडल के श्री विष्णु त्रिपाठी ने भी सविताजी के कार्यों कि प्रशंसा कि और उनके सतत प्रयासों कि सराहना कर जन्मदिन कि बधाई दी । संगीत सभा में गोपाल जोशी तथा भागीरथ बा ने सुमधुर भजनों से समाँ बांधा . प्रारंभ में बसंत कुमार जैन, दिलीपजी जैन , प्रियांश जैन, बजरंग पुरोहित, राकेश सकलेचा , हेमंत भरगट , नन्दकिशोर सोनी, शांतिलाल परमार , देवीलाल जी आदि ने श्रीफल भेंट कर विनयांजलि दी । शीतल तीर्थ समिति के महावीर गांधी , महेंद्र पाणोत , अनिल पापरीवाल , जीवन गांधी , सुशील कुमार जैन तथा महाराज श्री के शिष्यवृन्द श्री यशोधर सागर जी ,श्री यग्य सागर जी ,श्री युग सागर जी , श्री स्वयंभू सागर जी , आर्यिका श्री अभेदमति माताजी , श्री सुग्रीवमति माताजी ,श्री यशोधरमति , ब्रह्मचारी अशोक भय्या जी उपस्थित थे
प्रभावना डेलनपुर के राजाराम जी जाट तथा बालूजी महाराज की और से वितरित की गई ।

शुक्रवार, 6 अगस्त 2010

१४ जून के कार्यक्रम के फोटोस
















शीतल तीर्थ धाम पर निर्मित की गई भोजन शाला एवं आहारशाला का लोकार्पण मध्य्प्रदेह शासन के गृह मंत्री माननीय श्री उमा शंकर गुप्त के कर कमलों से हुआ । नगरीय प्रशासन मंत्री मनोहर ऊंटवाल , पूर्व गृह मंत्री हिम्मत कोठारी , महापौर शेलेन्द्र डागा, विधायक पारस सखलेचा आदि मौजूद थे ।
डॉ सविता जैन द्वारा विधान पूर्वक उक्त उदघाटन कराया गया जबकि शीतल धाम समिति के दीपक गोधा , अशोक गंगवाल आदि लगभग १५०० लोगों की उपस्थिति में यह कार्यक्रम संपन्न हुआ ।
योगीन्द्र सागर जी महाराज ने इस अवसर पर अपने आशीर्वचन प्रदान किये ।

शिष्यवृन्द श्री यशोधर सागर जी ,श्री यग्य सागर जी ,श्री युग सागर जी , आर्यिका श्री अभेदमति माताजी , श्री सुग्रीवमति माताजी ,श्री यशोधरमति , ब्रह्मचारी अशोक भय्या जी मंचस्थ थे ।

रविवार, 1 अगस्त 2010

गुरुमन्त्र, श्रद्धा और विश्वास

चातुर्मास कार्यक्रमों के अंतर्गत प्रवचनों कि श्रंखला का "शीतल तीर्थ धाम" पर प्रति रविवार आयोजन किया जा रहा है । बालाचार्य श्री १०८ योगीन्द्र सागर जी महाराज ने उपस्थित धर्मावलम्बियों को संबोधित कर कहा कि ऋषियों कि कही बातें ध्यान देने की है । गुरु वाक्य मंत्र का मूल है । मंत्र वही है जो मन को तर करे अर्थात तृप्ति दे, आकुलता /व्याकुलता को मिटाए । मंत्र जाप करने से दृढ विश्वास की प्राप्ति होती है । आज के युग में संदेह अधिक है इसलिए मंत्र में भी विश्वास जरूरी हो गया है । विश्वास रखने से ही मंत्र में श्रद्धा उत्पन्न होती है । विश्वास ही फल प्रदाता है । श्रद्धा परमं पापं , श्रद्धा पाप विमोचिनी कहते हुए उन्होंने कहा श्रद्धा में यदि विश्वास हो तो परमात्मा को भी चलकर आना पड़ता है इसके कई कथानक धर्म ग्रंथो में है । परमात्मा में रत व्यक्ति सुखी व् संपन्न रहता है क्योंकि विश्वास रुपी कर्म का फल सभी को मिलता है ।

बालाचार्य जी के शिष्य श्री यशोधर सागरजी ने गुरु मंत्र की महिमा एक कथानक के माध्यम से समझाई, उन्होंने बताया कि किसप्रकार सांप के काटे व्यक्ति का ईलाज मंत्र पर विश्वास मात्र से संभव हो गया ।

प्रवचन पश्चात प्रभावना का सौभाग्य बालू जी पांड्या ( लड्डूवाले सेठ ) ने लिया प्रारंभ में रतलाम के कमलेश गंगवाल, तनसुखराय गडिया, राजेश घोटीकर देलनपुर के राजाराम चोधरी, वजाराम जी, शिवगढ़ के बालाजी बाँसवाड़ा के देवचंद जैन, पंकज कुमार जैन, जिनेन्द्र जैन, नीतेश जैन आदि ने विनयांजलि स्वरुप श्रीफल भेंट किए । कार्यक्रम का संचालन डॉ सविता जैन ने किया।