प्रज्ञा पुरुषोत्तम श्री १०८ बालाचार्य योगीन्द्रसागरजी महाराज सा

प्रज्ञा  पुरुषोत्तम श्री १०८ बालाचार्य योगीन्द्रसागरजी महाराज सा

शुक्रवार, 14 अक्टूबर 2011

दि. २नव. २०११से ६नव. २०११ तक स्वर्ण दीक्षा जयंती समारोह आयोजित

प पू पट्टाचार्य १०८ श्री योगीन्द्रसागरज़ी महाराज सा. ससंघ के सानिध्य में दि.२ नव.२०११ से दि. ६ नव. २०११ तक परमपूज्य तपस्वी सम्राट महोपवासी, १०८ श्री सनमतिसागरज़ी महाराज का स्वर्ण दीक्षा जयंती समारोह मनाया जायेगा।
जिसमे दि.२-11-११ बुधवार को ध्वजारोहण एवं दि . ३-११-२०११ से ५-११-२०११ तक चौबीसी विधान किया जायेगा।
दि.६-११-११ को "बागीश्वरी पुरुस्कार '' देश के ख्यातितम विद्वान एवं सुप्रसिद्ध गणितज्ञ डॉ.अनुपमजी जैन को दिया जायेगा।
उक्त पुरुस्कार के साथ ही आचार्य संमतिसागर जी के ५०वे दीक्षा दिवस कि स्मृति में ५० विद्वानों को सम्मानित किया जायेगा।
५० विकलांगो को उपयुक्त उपकरण भी प्रदान किये जायेगे। उक्त जानकारी शीतलतीर्थ निर्देशिका डॉ . सविता जैन ने दि है।

जीवन में आचरण को सुधारना आवश्यक

शरदोत्सव पर आयोजित धर्मसभा में परमपूज्य आचार्य संमतिसागर के पट्टाचार्य और वरिष्ठ शिष्य आचार्य योगीन्द्रसागरजी ने कहा कि जो व्यक्ति जानने व् समझने के बाद भी आचरण में नहीं लाता उस जैसा नासमझ संसार में दूसरा नही हो सकता है.उन्होंने व्यक्तित्व विश्लेषण करते हुआ कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम राम का उदाहरण देते हुऐ बताया कि श्रीराम ने भी अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सम्पूर्ण प्रयास किये तभी वे सफल हुऐ। मनुष्य अपने किये कर्मो को स्वयं ही भोगता है । उन कर्मो को नाश करने के लिए भगवन की भक्ति करना आवश्यक है। भक्ति से ही कर्मो को नष्ट किया जा सकता है। सभा के प्रारंभ में गुरुदेव के श्रीचरणों में श्री ओमप्रकाशजी जैन भरतपुर [राज।] दीपक गोधा, महावीर गाँधी,राजेशमेहता[खान्दूकालोनी ], अशोक गंगवाल राजेश घोटीकर, जगदीश व्यास ,दीपक बरैया आदि ने श्रीफल भेट किया । प्रवचन पश्चात प्रभावना वितरण कु राधा धाणवी धामनोद परिवार द्वारा किया गया। मुनि यातिन्द्रनाथ्जी ने "जैसी करनी वैसी भरणी" भजन की प्रस्तुति से भाव विभोर कर दिया। रात्रिकालीन आयोजनों में श्री १००८ श्री चंद्रप्रभु भगवन की पूजा आराधना की परम पूज्य आचार्य श्री शीत्तलकीर्तिजी गुरु महाराज की स्तुति एवं भजन संध्या के कार्यक्रम सम्पन्न हुऐ.तत्पश्चात उपस्थित जनसमूह को दूध वितरण किया गया ।समस्त कार्यक्रम डॉ। सविता जैन के निर्देशन में सम्पन्न हुऐ।यह जानकारी शीतल तीर्थ प्रवक्ता श्री अशोक गंगवाल एवमश्री राजेश घोटीकर ने प्रदान की.

गुरुवार, 13 अक्टूबर 2011

रविवार, 9 अक्टूबर 2011

शीतल तीर्थ

शरद पूर्णिमा पर कार्यक्रम मंगलवार दिनांक ११ अक्टूबर को






शरद पूर्णिमा को चन्द्रमा अमृत वर्षा करता है। इस दिन दूध एवं खीर का सेवन किया जाता है, खास तौर पर चन्द्रमा कि रोशनी में रखने के बाद। शीतलतीर्थ पर इस दिन आचार्य गुरुवार श्री १०८ श्री योगीन्द्र सागर जी म सा के सान्निध्य में शरद पूर्णिमा का त्यौहार जाएगा यह जानकारी डॉ सविता जैन ने दी है ।






विजयादशमी पर मानभद्र क्षेत्रपाल मंदिर पर कलशारोहन ,ध्वजा दंड स्थापना के पश्चात यह समारोह सम्पूर्ण विधि विधान तथा धर्मिक विधि से मनाया जाएगा ।

सोमवार, 3 अक्टूबर 2011

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आगामी कार्यक्रम

ज्ञान में सुख है , अज्ञान में दुःख. ज्ञान मिले तो कैसे ? देव बोलते नहीं. शास्त्र ताले में हैं. ज्ञान न मिले तो काम कैसे चलावें. इसीलिए गुरु को बोलना पड़ता है. उक्त बात अंकलीकर परंपरा के चतुर्थ पट्टाधीश १०८ श्री योगीन्द्र सागर जी महाराज सा ने उपदेश देते हुए कही. नवरात्री के अवसर पर नौ दिवसीय आयोजन यहाँ शीतल तीर्थ पर रखे गए हैं. एकम से पंचमी तक रामचरित मानस का पाठ यहाँ किया जा रहा है. परायण एवं रामायण ज्ञान यज्ञ पं डॉ महेशानंद शास्त्री पंचेद द्वारा संपन्न कराया गया .

आचार्य श्री ने बताया की तुलसीदास जी ने भगवान् ऋषभदेव तथा भगवान् पार्श्वनाथ के बारे में भी लिखा है. उनके समकालीन रहे पं बनारसीदास जो एक जैन संत रहे है को अपनी कृतियाँ भेंट की थी. संत इसीतरह साम्प्रदायिक सद्भावना लिए रहते हैं. एसे ही उज्वल भी होते हैं. संत तुलसीदास जी की रामचरित मानस से प्रेरणा पाकर पं बनारसीदास जी ने भी अध्यात्म रामायण की रचना की थी. इस बारे में डॉ चेतन प्रभा जी ने भी अपने शोधग्रन्थ में लिखा है.

आचार्य श्री ने उपस्थित श्रद्धालुओं से बालक के समान सरल मन रखने की बात कहते हुए रामायण की तरह जीवन बनाने की बात कही. उक्त दोनों प्रकार से जीवन सफल हो सकता है.

सभा के प्रारंभ में आर्यिका सिद्धांत सेना माताजी ने बहन की प्रस्तुति दी. कार्यक्रम का संचालन करते हुए शीतलतीर्थ अधिष्ठात्री डॉ सविता जैन ने बताया की नवरात्री के अष्टमी नवमी तथा दशमी याने दशहरे के पर्व पर क्षेत्रपाल विधान, कलशारोहण, ध्वजदण्ड स्थापन तथा महाप्रसादी का आयोजन आचार्यश्री तथा चतुर्विद संघ के सान्निध्य में संपन्न होगा. नवमी की रात को इन्दोर की भजन मंडली द्वारा क्षेत्रपाल जी यानी मानभद्र भैरव की वंदना का कार्यक्रम किया जाएगा.

आचार्य श्री के चरणों में श्रीफल समर्पित कर विनयांजलि सर्व श्री डॉ नेमीचंद जी जैन, महावीर गाँधी, दिलीप जी सोनी, महेंद्र जैन गुडवाला, निर्मल कुमार जी जैन आदि ने प्रस्तुत की.

प्रभावना वितरण का लाभ रामलाल जी पाटीदार तथा राकेश जी जैन द्वारा लिया गया.

उपरोक्त जानकारी प्रदान करते हुए शीतल तीर्थ प्रवक्ता अशोक गंगवाल ने बताया की आगामी नवम्बर माह में आचार्य श्री १०८ सन्मति सागरजी म सा की हीरक जयंती वर्ष तथा पचासवे दीक्षा जयन्ति के उपलक्ष में स्वर्ण जयंती दीक्षा महोत्सव का आयोजन आगामी नवम्बर माह में आयोजित किया जाएगा.


अशोक गंगवाल
प्रवक्ता शीतल तीर्थ
बनवाडा रोड रतलाम.

शनिवार, 1 अक्टूबर 2011

आचार्य १०८ श्री सन्मतिसागरजी म सा का पचासवा संयमोत्सव ६ नवम्बर २०११ को

प पू मुनिकुंजर आचार्य १०८ श्री आदिसागरजी म सा (अंकलीकर ) परंपरा के तृतीय पट्टाधीश प पू महातपो मार्तंड आचार्य १०८ श्री सन्मतिसागरजी म सा का पचासवा संयमोत्सव ६ नवम्बर २०११ रविवार को दिगंबर जैन शीतल तीर्थ पर चातुर्मास हेतु विराजित उन्ही के पट्टाधीश प पू प्रज्ञा पुरुषोत्तम सिद्धांत रत्नाकार १०८ आचार्य श्री योगीन्द्रसागर जी म सा की प्रेरणा से अनेकानेक आयोजन सहित मनाया जाएगा.

कार्तिक शुक्ल द्वादशी को २४ वर्ष की आयु में आचार्य सन्मतिसागर जी म सा की दीक्षा आचार्य विमलसागर जी के सानिध्य में १९६१ में संपन्न हुई थी आचार्य श्री का यह दीक्षा महोत्सव स्वर्ण जयंती के स्वरुप में पट्टाधीश आचार्य श्री योगीन्द्र सागर जी म सा एवं उनके चतुर्विद संघ सान्निध्य में आयोजित किया जाएगा. उक्त जानकारी दिगंबर जैन शीतलतीर्थ अधिष्ठात्री डॉ सविता जैन ने देते हुए बताया कि इस स्वर्ण जयंती संयमोत्सव में पचास जोड़ो द्वारा ऋषि मंडल विधान, आचार्य श्री सन्मतिसागर जी म सा के चित्र की पचास दीपों द्वारा आरती तथा समाज के पचास श्रावक श्रेष्ठी महानुभावों का सामान किया जाएगा.

दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र शीतलतीर्थ प्रवक्ता अशोक गंगवाल ने बताया की उक्त समस्त कार्यक्रम मध्यप्रदेश रतलाम के बाँसवाड़ा रोड पर निर्माणाधीन शीतल तीर्थ पर धर्मिक विधि विधान पूर्वक आयोजित किए जाएंगे.

अशोक गंगवाल
प्रवक्ता शीतलतीर्थ