प्रज्ञा पुरुषोत्तम श्री १०८ बालाचार्य योगीन्द्रसागरजी महाराज सा

प्रज्ञा  पुरुषोत्तम श्री १०८ बालाचार्य योगीन्द्रसागरजी महाराज सा

मंगलवार, 24 सितंबर 2013

तपस्र्वी को पारणा करवाया



रतलाम,
आचार्य श्री योगीन्द्रसागर जी म.सा. के षिष्य वृंद चातुर्मास के दौरान ष्षीतलतीर्थ पर तपस्या एवं साधना कर रहे है।
मुनी युक्तिसागर जी ने सोलह कारण के उपवास किए। 105 आर्यिका सुग्रीवमति माताजी ने चैसठ ऋद्धि के उपवास किए। अन्न जल के दो-माह-चार दिन के त्याग मय उपवास अपने आप में विषिष्ठ रहे।उक्त तपस्या को आचार्य श्री योगीन्द्रसागर जी की प्रेरणा का चमत्कार समझा गया। आर्यिका सुग्रीवमति माताजी की चैसठ ऋद्धि के चैसठ उपवास की इस दौरान दिनचर्या सामान्य रही जो सभी के लिए आष्चर्यकारी थी।जैन महिला मंडल तथा जैन समाज जन ने प्रातः 7 बजे से चैसठ ऋद्धि विधान मण्डल पूजन हुई। प्रातः 10ः30 बजे माताजी का पारणा कराया गया।
आर्यिका सुयुक्ति सेनामति माताजी द्वारा एकान्तर वृत धारण किया गया था।
समस्त तपस्वी साधकों का पारना कराया गया जिसमें मध्यप्रदेष एवं राजस्थान के अनेक स्थानों से समाज बंधु उपस्थित हुए। पारणा कार्यक्रम के अन्र्तगत चैसठ ऋद्धि विधानकर्ता पं. विजय कुमार गाँधी मंदसौर तथा पं. नितिन कुमार षास्त्री भीमपुर ने सम्पन्न कराया।
पुजन का लाभ अरूण कुमार सुमेरपुर तथा गगन बड़जात्या उदयपुर ने किया। चैसठ दिवसीय कठिन तपष्चर्या के पष्चात पाद प्रक्षालन पुखराज सेठी जावरा ने किया। षास्त्र भेंट मांगीलाल कैलाषचंद जी सैलाना ने किया।नई पिच्छिका भेंट पदम महावीर गाँधी ने किया। प्रथम आहार विजय कुमार बाबूलाल ओरा जावरा ने करवाया।आरती का लाभ विजय कुमार गाँधी मंदसौर ने प्राप्त किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में धर्मालुजन उपस्थित थे। डाॅ. सविता जैन ने बताया कि हम सभी कठोर तप  उपवास कर सके यही भावना के साथ जैन धर्म में तपस्या, साधु संतो से आषिर्वाद प्राप्त कर हम भी ऐसी भावना कर सके
पूर्व मंत्री हिम्मत कोठारी, विष्णु त्रिपाठी, दिनेष पोरवाल, केदार अग्रवाल प्रकाष चंद बिलाला, लखनलाल गोधा, अनिल पापरीवाल तथा दिगम्बर जैन समाज जन नये माताजी से आषिर्वाद लिया । कार्यक्रम के पष्चात स्वामी वात्सल्य का आयोजन हुआ जिसमे बड़नगर जावरा बासवाडा, सैलाना, उज्जैन एवं अन्य गुरू भक्तगण ने भाग लिया जानकारी प्रवक्ता अषोक गंगवाल ने दी। सादर प्रकाषनार्थ               प्रवक्ता
(अषोक गंगवाल)



सोमवार, 16 सितंबर 2013

आ.सुग्रीव  मति माता जी  के पारना की पत्रिका